देश के बड़े हिस्से में अगस्त के महीने में कमजोर मानसून की स्थिति बनी हुई है। मध्य और दक्षिणी भागों ने सीजन के पहले भाग के अपने शुरुआती लाभ का उपभोग किया। मानसून की ट्रफ रेखा लगभग 3000’ और उससे अधिक की ऊंचाई पर तलहटी पर बनी हुई है, यह स्थितियाँ 'ब्रेक मानसून' के समान हैं। पश्चिमी तट, राजस्थान, महाराष्ट्र और दक्षिण प्रायद्वीप, तटीय आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के बाहर बारिश लगभग सूख गई है।
सीजन के आधे भाग में,यानि 01 जून और 31 जुलाई के बीच मानसून की वर्षा सामान्य आंकड़ों 452 मिमी के मुकाबले 449 मिमी दर्ज की गई थी। हालांकि, सभी दिनों में अगस्त के दौरान कमजोर प्रदर्शन ने बारिश की कमी को 6% तक बढ़ा दिया। अगस्त में अब तक 27.6 मिमी और मौसमी कमी 31 मिमी रही है। कमजोर मानसून की स्थिति 15 अगस्त तक रह सकती है और उसके बाद यह स्थिति ठीक होने की उम्मीद है। इस दौरान, वर्षा की गतिविधियां उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तर बंगाल, पूर्वोत्तर भारत, तटीय आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु की तलहटी और आसपास के मैदानों तक सीमित हो जाती है।
स्काइमेट के मौसम विज्ञानियों के अनुसार, सामान्य ब्रेक मानसून की स्थिति 14 अगस्त तक और उसके बाद स्थितियां बदलने की संभावना है। बांग्लादेश से आंध्र प्रदेश तक फैले पूर्वी तट पर एक ट्रफ रेखा बनने की संभावना है। इसके प्रभाव में, 15 अगस्त को उत्तर पश्चिमी बंगाल की खाड़ी के ऊपर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बनेगा। यह मौसमी सिस्टम अधिक प्रभावी हो जाएगी और बाद के 48 घंटों में आंतरिक इलाकों की ओर बढ़ जाएगी। यह आगे मध्य भागों तक यात्रा कर सकता है और बाद में देश के उत्तरी भागों तक पहुँच सकता है।
अगस्त का यह पहला मानसून सिस्टम मौसमी गतिविधियों को फिर से जीवित क्र देगा। मॉनसून की ट्रफ रेखा दक्षिण की ओर बढ़ जाएगी और मौसमी सिस्टम के पूर्वी छोर को बंगाल की खाड़ी के ऊपर लाएगी और बाद में मध्य भाग भी देश के मध्य इलाकों में पहुँच सकता है। इसके कारण, पूर्वोत्तर भारत में तीव्र वर्षा कम हो जाएगी वहीँ पूर्वी और मध्य राज्यों जैसे ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में बारिश की गतिविधियां बढ़ने के आसार हैं। इस महीने में तीसरे सप्ताह के दौरान बारिश के आंकड़ों में आंशिक सुधार होने की भी उम्मीद है।