मॉनसून की बारिश 20 जून तक दैनिक औसत से अधिक थी। 20 जून तक देश में सामान्य से 40% अधिक रही। लेकिन तब से, भारत के गंगा के मैदानी इलाकों, मध्य भारत के साथ-साथ दक्षिण प्रायद्वीप में बारिश की गतिविधियां कम हो गई हैं। 26 जून को मॉनसून सिर्फ 20% सरप्लस था।
मध्य भारत और दक्षिण प्रायद्वीप के उत्तरी मैदानी इलाकों के अधिकांश हिस्सों में मॉनसून कमजोर रहेगा। देश के पूर्वी हिस्से में भी बारिश कम होगी। हालांकि, पूर्वोत्तर भारत में कम से कम अगले 4 से 5 दिनों तक अच्छी बारिश जारी रहेगी।
29 जून से ब्रेक मॉनसून की स्थिति आने की उम्मीद है। ब्रेक मानसून की घोषणा तब की जाती है जब मॉनसून ट्रफ हिमालय की तलहटी में शिफ्ट हो जाती है। गंगा के मैदानी क्षेत्रों और देश के मध्य भागों में शुष्क पछुआ हवाओं द्वारा आर्द्र पूर्वी हवाओं की जगह ले ली जाती है। देश के अधिकांश हिस्सों में मौसम लगभग शुष्क हो जाता है। पश्चिमी हिमालय राज्यों, उत्तर प्रदेश तथा बिहार के तराई वाले जिलों सहित पूर्वोत्तर राज्यों में वर्षा की गतिविधियां अधिक होती हैं। देश के पश्चिमी तट पर भी बारिश में उल्लेखनीय कमी देखी होती है। कभी-कभी तमिलनाडु और आसपास के क्षेत्रों में वर्षा बढ़ जाती है।
ये ब्रेक मानसून की स्थिति कम से कम अगले एक सप्ताह तक जारी रहने की उम्मीद है। 6 जुलाई के बाद मॉनसून फिर सक्रिय हो सकता है, क्योंकि मॉनसून की अक्षीय रेखा दक्षिण की ओर सरकना शुरू कर देगी। जुलाई के पहले सप्ताह तक देश के अधिकांश हिस्सों में मॉनसून की कमजोर स्थिति जारी रहने की उम्मीद है। यह ब्रेक मानसून कृषि पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा। खरीफ फसल की बुवाई लगभग पूरी हो चुकी है। अब पानी फसलों की सिंचाई के लिए जरूरी है। देश के वर्षा आश्रित क्षेत्रों में फसलों को नुकसान हो सकता है।