कोहरे की चादर में लिपटा बेंगलुरु, हवाई यात्राओं में आ रही मुश्किलें

November 12, 2024 5:25 PM | Skymet Weather Team
कोहरे के कारण हवाई उड़ानों में मुश्किलें, फोटो: Shutterstock

बेंगलुरु अपने सुहावने मौसम के लिए जाना जाता है, खासकर नवंबर और दिसंबर में। इन महीनों में रात और सुबह के समय हल्की ठंड और दिन में हल्की गर्मी रहती है, जो बेंगलुरु के मौसम की खास विशेषता है। आमतौर पर जनवरी बेंगलुरु का सबसे ठंडा महीना होता है, जब न्यूनतम औसत तापमान 15.8°C तक पहुँच जाता है, जो फरवरी में 2°C तक बढ़ जाता है। नवंबर से जनवरी तक  शहर में उत्तर-पूर्वी हवाएं चलती हैं, जिनमें नमी होती है। यहीं हवाएं मौसम में ठंडक लाती है। हालाँकि, यह समय पूर्वोत्तर मानसून का होता है। लेकिन, बेंगलुरु में इस दौरान भारी बारिश कम ही होती है। सर्दियों में कोहरा और कम ऊँचाई वाले बादल विमानन (aviation) के लिए कभी-कभी चुनौतियाँ पैदा करते हैं।

पठार पर स्थित होने का असर: बेंगलुरु एक पठार पर लगभग 3000 फीट की ऊँचाई पर स्थित है, जिससे यहाँ के दिन और रात के तापमान कर्नाटक राज्य के अन्य हिस्सों की तुलना में कम रहते हैं। रात और सुबह के समय में नमी अधिक होती है, जिससे शुष्क और गीले बल्ब तापमान (Dry Bulb और Wet Bulb Temperature) एक-दूसरे के करीब बने रहते हैं। ये सभी स्थितियाँ घने कोहरा बनने के लिए अनुकूल होती हैं, जो बेंगलुरु के सभी हवाई अड्डों जैसे देवनहल्ली अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, HAL सिटी एयरपोर्ट, और येलहंका एयरफोर्स हवाई क्षेत्र को घेर लेता है।

रात के बाद घना कोहरा और सीमित विजिबिलिटी:  आमतौर पर घना से बहुत घना कोहरा रात के बाद बनना शुरू होता है और सुबह तक बना रहता है। इस दौरान विजिबिलिटी 100 मीटर से भी और कभी-कभी बिल्कुल समाप्त हो जाती है। मौसम की यह स्थिति हवाई संचालन को प्रभावित करती है, खासकर तब जब ज़मीन से 500 फीट तक बेहद कम ऊँचाई पर बादलों की परत भी मौजूद हो। इस मौसम की स्थिति में हवाई संचालन को निलंबित करना पड़ता है।

सूर्योदय के बाद मौसम में तेजी से सुधार: सूजर निकलने के बाद मौसम में तेजी से सुधार होता है। सुबह 8 बजे तक या आधे घंटे बाद परिस्थितियाँ काफी बेहतर हो जाती हैं और हवाई संचालन के लिए अनुकूल बन जाती हैं। लेकिन 4-5 घंटों के इस समय में यानी 2 बजे से 7 बजे के बीच, आने वाली और जाने वाली उड़ानों में देरी और डायवर्जन का खतरा होता है। पिछले सप्ताहांत भी इसी तरह की स्थिति देखी गई थी, जिसमें उड़ानों को डायवर्ट करना पड़ा था या वे अपने हवाई अड्डों पर ही रुक गई थीं। इस अवधि के दौरान हवाई संचालन की योजना बनाते समय ऑपरेटर्स और यात्रियों दोनों को सावधानी बरतने की जरूरत होती है।

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