पूर्वोत्तर मानसून की दस्तक से पहले, दक्षिण भारत में बढ़ेगी मौसम की गतिविधि

October 3, 2024 6:49 PM | Skymet Weather Team
प्रतिकात्मक फोटो, फोटो: First Post

दक्षिण-पश्चिम मानसून उत्तर भारत के मैदानी इलाकों से विदा हो चुका है। जिसमें पश्चिम राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, चंडीगढ़ और पश्चिमी उत्तर प्रदेश तथा पश्चिमी मध्य प्रदेश के कुछ हिस्से शामिल हैं। अब मानसून की विदाई रेखा और आगे बढ़ने वाली है, जिससे गुजरात, पूर्वी राजस्थान, पश्चिमी मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के अधिक हिस्सों से भी मानसून विदा हो जाएगा। आमतौर पर पूरे देश से मानसून 15 अक्टूबर तक पूरी तरह से विदा हो जाता है। इसके साथ ही  पूर्वोत्तर मानसून के संकेत भी दिखाई देने लगते हैं, हालांकि यह अभी भी दक्षिण-पश्चिम मानसून का ही हिस्सा रहता है। जिसमें मध्य और दक्षिणी हिस्सों में थोड़ी-बहुत बारिश होती है।

दक्षिण भारत में बढ़ेगी बारिश: लक्षद्वीप और आसपास के अरब सागर के हिस्सों में एक चक्रवाती परिसंचरण देखा जा रहा है। इसी तरह बंगाल की खाड़ी के तट के दूसरी ओर भी एक चक्रवाती परिसंचरण बना हुआ है। एक ट्रफ रेखा ओडिशा, आंध्र प्रदेश और उत्तरी तमिलनाडु के तटों के पास फैली हुई है। 05-06 अक्टूबर के आसपास, दक्षिण-पश्चिम बंगाल की खाड़ी में दक्षिण आंध्र प्रदेश और उत्तर तमिलनाडु के पास एक और चक्रवाती परिसंचरण बनने की संभावना है। इन मौसम प्रणालियों के प्रभाव से दक्षिण प्रायद्वीपीय (दक्षिण भारत) में 04 से 09 अक्टूबर के बीच मौसम गतिविधि बढ़ जाएगी। वहीं, आज भी कर्नाटक, रायलसीमा, तमिलनाडु और केरल के कुछ हिस्सों में छिटपुट बारिश की उम्मीद है।

बढ़ेगी बारिश औऱ मानसून की विदाई: लक्षद्वीप के ऊपर बना परिसंचरण उत्तर की ओर बढ़ते हुए गोवा के तट के पास पहुंचेगा, जबकि दक्षिण-पश्चिम बंगाल की खाड़ी का दूसरा परिसंचरण जमीन के और करीब आएगा। इन दोनों प्रणालियों को जोड़ने वाली एक पूर्व-पश्चिम दिशा में फैली हुई "शियर लाइन" भी बारिश गतिविधि को बढ़ावा देगी। यह गतिविधि(बारिश) अभी भी दक्षिण-पश्चिम मानसून का हिस्सा रहेगी और बाद में इस महीने आने वाले पूर्वोत्तर मानसून का संकेत अग्रदूत मानी जाएगी। दक्षिण भारत के लगभग सभी हिस्सों जैसे रायलसीमा, उत्तर और दक्षिण आंतरिक कर्नाटक, तटीय कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल में इन विभिन्न प्रणालियों के एक साथ प्रभाव से बारिश होगी। 11 अक्टूबर के बाद यह गतिविधि(बारिश) कम हो जाएगी, जिससे मध्य अक्टूबर तक मानसून की विदाई का रास्ता साफ हो जाएगा।

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