इस मौसम में पोस्ट-मानसून की पहली मौसम प्रणाली की शुरुआत पिछले सप्ताह दक्षिण-पूर्व अरब सागर और लक्षद्वीप क्षेत्र में बने निम्न दबाव क्षेत्र से हुई। शुरुआत में इसके चक्रवाती तूफान में बदलने की संभावना जताई गई थी, जो इस मौसम का पहला तूफान हो सकता था। हालांकि, अब यह संभावना समाप्त हो गई है। यह अवसाद अभी भी केंद्रीय अरब सागर में मौजूद है और इसका रुख ओमान और यमन की ओर है। लेकिन यह अब किसी उष्णकटिबंधीय तूफान में बदलने की संभावना नहीं रखता है। इसके बजाय, यह मौसम प्रणाली ओमान-यमन तट से पहले ही कमजोर हो सकती है।
कोंकण-गोवा तट पर हवा के पैटर्न में बदलाव: इस मौसम प्रणाली की उपस्थिति ने कोंकण-गोवा तट के साथ-साथ हवा के पैटर्न को प्रभावित किया, जिससे मुंबई से दक्षिण-पश्चिम मानसून की वापसी में देरी हुई। वहां अभी भी बारिश जारी है। अब अनुमान है कि अगले 2-3 दिनों में मानसून की वापसी हो जाएगी। इस तट पर फिर से बारिश का प्रभाव होगा, लेकिन इस बार यह बंगाल की खाड़ी में उत्पन्न हो रही एक नई मौसम प्रणाली के प्रभाव से होगा, जो दक्षिण प्रायद्वीप से होकर अरब सागर में फिर से उभरेगी। यह बारिश का दौर पूर्वोत्तर मानसून के आगमन को और विलंबित कर सकता है, जिसकी घोषणा मध्य सप्ताह में की जा सकती है।
नई प्रणाली से फिर से वर्षा: जैसे ही यह नई प्रणाली अरब सागर में प्रवेश करेगी, इसकी वजह से कोंकण और गोवा में फिर से वर्षा की शुरुआत होगी। हालांकि, इस बार यह प्रणाली पहले की तुलना में अधिक ताकतवर हो सकती है। इसका रुख पश्चिम की ओर केंद्रीय अरब सागर में होगा और यह चक्रवात में बदलने की संभावना रखती है। यह तूफान अगले सप्ताह मध्य में, 22 से 24 अक्टूबर के बीच ओमान-यमन के तट की ओर बढ़ सकता है। यह प्रणाली पूरी तरह से भारतीय क्षेत्र को छोड़ते हुए ईरान और पाकिस्तान के तटीय हिस्सों को प्रभावित कर सकती है।