उत्तरी पहाड़ों से कड़ाके की सर्दी कम हो गई है, लेकिन बर्फबारी की गतिविधियों में बढोत्तरी अभी भी जारी है। अगले 3-4 दिनों में हिमालय की पूरी पर्वत श्रृंखलाओं में भारी से बहुत भारी बर्फबारी होने की संभावना है। इस गतिविधि की शुरुआत पीज पंजाल पर्वतमाला से होगी, इसके बाद कश्मीर घाटी और शिवालिक पर्वतमाला को कवर करेगी, यहां सबसे ज्यादा असर भी होगा। हिमाचल प्रदेश के निचले और मध्य इलाकों पर भी गंभीर असर पड़ेगा। हालांकि, उत्तराखंड राज्य में भारी बारिश, बर्फबारी, आंधी कम समय के लिए हो सकती है। लेकिन, दूसरे पहाड़ी राज्यों की तरह मजबूत और भारी होगी।
घाटी में भारी बारिश/बर्फबारी: पश्चिमी विक्षोभ पहले ही आ चुका है और मौसमी गतिविधियां शुरू हो चुकी हैं। मध्यम बादलों की घनी चादर वाला आसमान पहले ही घाटी को घेर चुका है। कभी भी बारिश शुरू हो सकती है। लेकिन, चरम स्थिति 01 से 03 मार्च के बीच आएगी। जिसमें 2 मार्च को भारी मौसम गतिविधि होने की उम्मीद है। जबकि, मौसम प्रणाली 03 मार्च को जम्मू और कश्मीर को खाली कर सकता है। रविवार को केवल बचा हुआ असर हिमाचल प्रदेश औऱ उत्तराखंड में होगा, जो 3 मार्च को भी खासकर उत्तराखंड में जारी रहेगा।
यातायात और कनेक्टिविट में बाधा: भारी बर्फबारी से सामान्य जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाएगा। इससे सड़क और हवाई दोनों कनेक्टिविटी में बाधा आएगी। राजमार्गों और मुख्य सड़कों के बाधित होने की संभावना है। भूस्खलन, चट्टानों और कीचड़ से कई स्थनों पर यातायात बाधित होगा। पर्यटकों के बीच लोकप्रिय सभी बर्फीले स्थानों में आवाजाही पर रोक लगाने की जरूरत है। साहसिक गतिविधि को भी रोकने की सलाह दी गई है।
हिमस्खलन का खतरा: बचाव और राहत दल बहुत कम समय की सूचना पर कार्रवाई करने के लिए तैयार रह सकते हैं। बर्फबारी और बारिश के बाद पहाड़ों की ढलानों पर बर्फ के ढेर से हिमस्खलन का खतरा बढ़ जाएगा। जीवन और संपत्ति की सुरक्षा के लिए ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है। मौसम में सुधार और बादल छंटने की उम्मीद 05 मार्च से पहले नहीं है।
फोटो क्रेडिट: ANI