राजधानी काठमांडू के पास शनिवार को आए 7.9 तीव्रता के शक्तिशाली भूकम्प से नेपाल हिल उठा। मुख्य भूकम्प के पश्चात नेपाल में अब तक कम क्षमता वाले 8 झटके महसूस किए गए हैं। इनकी तीव्रता रेक्टर पैमाने पर 4 से 7 मापी गई है। रविवार को भारतीय समयानुसार दोपहर 12.39 पर 6.7 तीव्रता का भूकम्प आया, जिसका केंद्र नेपाल के कोडारी से 17 किलोमीटर दक्षिण में था। इसके एक घंटे के बीच नेपाल में 6.7, 5.0 और 4.7 के तीन एक के बाद एक झटके महसूस किए गए।
यह झटके मूलतः भूकम्प के बाद होने वाली कंपन हैं, जो अपेक्षाकृत भूकम्प की मुख्य घटना से कमजोर होते हैं। भूकम्प के बाद आमतौर पर 2 से 3 दिनों तक कंपन आता रहता है, लेकिन तीव्रता इतनी अधिक नहीं होती। इस बार आफ्टरशॉक अधिक क्षमता वाले हैं इसलिए कम से कम एक सप्ताह तक इसी तरह के झटके आने की आशंका बनी हुई है। मध्यम तीव्रता वाले आफ्टरशॉक असामान्य हैं। आफ्टरशॉक भी घातक सिद्ध हो सकते हैं क्योंकि भूकम्प की मुख्य घटना में कमजोर हुई इमारतों के गिरने का खतरा बढ़ जाता है। इससे बचाव के काम में भी बढ़ा आती है।
भारत में भी हिली धरती
उत्तर और पूर्वी भारत में भी आज फिर से धरती हिली। नेपाल में राहत के काम में सक्रिय रूप से मदद कर रहे भारत के रक्षा मंत्रालय ने इन झटकों को देखते हुये आज शाम 4 बजे तक अपनी उड़ाने ठप कर दीं थीं और अपने सभी कार्यक्रम रोक दिये थे।
इससे पहले गुजरात के भुज में जनवरी 2001 में आए भूकम्प के बाद एक महीने तक हल्के झटके आते रहे थे। कल के भूकम्प के बाद से अब तक आए कंपनों के आधार पर स्काईमेट ने पूर्वानुमान व्यक्त किया है कि भारत के उत्तर और पूर्वी भागों में एक हफ्ते तक इसी तरह से हल्के झटके महसूस किए जा सकते हैं। हालांकि नेपाल से सटे भारत के भागों में लोगों को अधिक परेशान होने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन खतरा अभी भी टला नहीं है।
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