कमजोर पश्चिमी विक्षोभ उत्तरी पहाड़ों पर आगे बढ़ रहा है। मुख्य प्रणाली ने क्षेत्र को साफ कर दिया है, जिसका बचा हुआ असर ऊंचे इलाकों में देखा जा रहा है। जो जल्द ही कल सुबह में खत्म हो जाएगा। हालाँकि, एक और पश्चिमी विक्षोभ आने का इंतजार कर रहा है। आने वाला पश्चिमी विक्षोभ मौजूदा विक्षोभ से थोड़ा ज्यादा शक्तिशाली है। जल्द ही पहाड़ों पर बढ़े हुए प्रसार और तीव्र मौसम गतिविधियां शुरू हो जाएंगी।
4 दिन पहाड़ों पर मौसम गतिविधि: बता दें, पश्चिमी सिस्टम के प्रभाव से मार्च में अब तक उत्तरी पहाडी राज्यों में मौसम सक्रिय है। इससे पहले मार्च की शुरुआत में पहाड़ों पर इस सीज़न की सबसे भारी बारिश और बर्फबारी हुई थी। ताज़ा पश्चिमी विक्षोभ 10 मार्च को थोड़ा देर से आएगा। लेकिन, सिस्टम को प्रेरित चक्रवाती परिसंचरण का समर्थन मिलेगा। 48 घंटों के बाद मौसम गतिविधि की अवधि पहाड़ियों पर लगभग 4 दिनों तक बढ़ जाएगी। वहीं, मैदानी इलाकों को केवल 2 दिनों तक असर होगा।
उत्तराखंड में भारी बारिश: 10 मार्च को जैसे ही पश्चिमी विक्षोभ पश्चिमी हिमालय के पास पहुंचेगा, वैसे ही ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हल्की गतिविधि शुरू हो जाएगी। वहीं, निचले हिस्सों में बादल छाए रह सकते हैं और कम वर्षा हो सकती है। 11 से 13 मार्च के बीच बारिश तेज होगी और प्रसार भी बढ़ेगा। जबकि, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में 11 से 13 मार्च तीनों दिन मौसम की गतिविधि (बारिश, बर्फबारी, तेज हवाएं, ओलावृष्टि) होगी। वहीं, उत्तराखंड में 13 मार्च को बारिश और बर्फबारी होगी, बाकी 2 दिनों में मौसम गतिविधि बहुत हल्की रहने की संभावना है।
राजस्थान और पंजाब में बारिश: प्रेरित चक्रवाती परिसंचरण उत्तर-पश्चिमी राजस्थान और सीमा पार के क्षेत्रों पर होने की संभावना है। यह मौसम प्रणाली धीरे-धीरे हरियाणा और दिल्ली में पूर्व की तरफ चली जाएगी। 11 अप्रैल 2024 को उत्तरी, पश्चिमी राजस्थान और उत्तरी पंजाब में हल्की मौसमी गतिविधि शुरू होगी। यह 12 और 13 मार्च को हरियाणा, दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों तक पहुँचने के लिए पूर्व की ओर बढ़ेगी। इन दिनों बिजली की चमक, गड़गड़ाहट और गरज के साथ बारिश पड़ने की संभावना है, साथ ही तेज हवाएँ भी चल सकती हैं। मौसम की ज्यादातर गतिविधियां दिन में दोपहर के बाद में देखी जाएंगी। वहीं, 14 मार्च बादल छंटने की उम्मीद की जा सकती है।
फोटो क्रेडिट: स्टार ट्रिब्यून