राजस्थान के दक्षिण-मध्य भागों पर एक निम्न दबाव का क्षेत्र बना हुआ है। मॉनसून की अक्षीय रेखा इस सिस्टम से बंगाल की खाड़ी तक पहुँच रही है। इसके प्रभाव से दक्षिणी राजस्थान और उत्तरी गुजरात में मध्यम से भारी वर्षा जारी रहने की संभावना है। भारी बारिश के चलते इन भागों में बाढ़ के हालात चुनौतीपूर्ण बने रहेंगे। राहत की उम्मीद 26 जुलाई के बाद ही कर सकते हैं। विदर्भ और पूर्वी मध्य प्रदेश में कई जगहों पर हल्की से मध्यम और एक-दो स्थानों पर भारी वर्षा के आसार हैं।
पश्चिम बंगाल पर बना निम्न दबाव का क्षेत्र और प्रभावी होते हुए गहरा निम्न दबाव बन गया है। यह सिस्टम इस समय झारखंड और इससे सटे भागों पर है। इसके प्रभाव से दक्षिण-पूर्वी उत्तर प्रदेश, झारखंड, गंगीय पश्चिम बंगाल, उत्तरी ओड़ीशा और उत्तरी छत्तीसगढ़ में भारी से अति भारी बारिश होने की संभावना है। बिहार में हल्की वर्षा के आसार हैं जबकि पूर्वोत्तर भारत और ओड़ीशा तथा छत्तीसगढ़ के शेष हिस्सों में अच्छी वर्षा दर्ज की जा सकती है।
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उत्तर भारत के मौसम का ज़िक्र करें तो यहाँ जम्मू कश्मीर पर एक पश्चिमी विक्षोभ बना हुआ है। इसके प्रभाव से अनुमान है कि जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश होगी। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के दक्षिणी भागों में एक-दो स्थानों पर भारी बारिश के भी आसार हैं।
मैदानी इलाकों में पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तरी राजस्थान में मॉनसून विशेष रूप से सक्रिय नहीं है। लेकिन इन भागों में कम समय के लिए कहीं-कहीं हल्की से मध्यम बारिश का झोंका पिछले दिनों की तरह देखने को मिल सकता है।
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पश्चिमी तटों पर ट्रफ कमजोर हो गई है और दक्षिणी गुजरात से महाराष्ट्र के तटों तक बनी हुई है। इसके चलते मुंबई सहित महाराष्ट्र के तटीय भागों और तटवर्ती कर्नाटक में अच्छी बारिश होने के आसार हैं। केरल में वर्षा कम हो जाएगी।
दक्षिण भारत के शेष हिस्सों की बात करें तो तमिलनाडु, रायलसीमा और तेलंगाना में मौसम मुख्यतः शुष्क बना रह सकता है।
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