वर्ष 2016 में बेहतर मॉनसून के बाद बने अनुकूल मौसमी परिदृश्य के बीच वर्तमान सीज़न में रबी फसलों की बुआई में 1% की बढ़ोत्तरी हुई है। 638.37 लाख हेक्टेयर सामान्य बुआई के मुक़ाबले 645.12 लाख हेक्टेयर में रबी फसलें बोई गई हैं। विपरीत मौसमी कारणों से पिछले रबी सत्र में काफी कम 610.44 लाख हेक्टेयर में रबी फसलों की बुआई हुई थी। इस बार गेहूँ, दलहन और तिलहन फसलें सबसे अधिक बोई गई हैं।
आपको बता दें कि भारत में इससे पहले सबसे अधिक गेहूं 315 लाख हेक्टेयर भू-भाग में 2013-14 में बोया गया था। इस बार 318 लाख हेक्टेयर में हुई बुआई के कारण गेहूं की बम्पर पैदावार की संभावना है।
खराब मौसम के चलते गेहूँ की पैदावार 2015 में घटकर 865 लाख टन और 2016 में 935 लाख टन पर आ गई थी। 2017 में सरकार ने 965 लाख टन गेहूँ उत्पादन का लक्ष्य रखा है।
आपको यह भी बता दें कि गेहूँ सहित सभी रबी फसलों की बेहतर पैदावार की संभावना को देखते हुए सांख्यिकी विभाग ने कृषि विकास दर 4.1% रहने का अनुमान लगाया है जो बीते कई वर्षों में सबसे अधिक है।
हालांकि मौसम इस लक्ष्य को हासिल करने में रोड़ा अटका सकता है। स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार 11 से 15 फरवरी के बीच दक्षिण-पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तरी मध्य प्रदेश में बारिश होने और ओले पड़ने के लिए मौसमी परिदृश्य अनुकूल बन रहा है। ऐसी स्थिति में कटाई के लिए लगभग तैयार गेहूँ की फसल को भारी नुकसान हो सकता है।
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