सीने में जलन आँखों में तूफान सा क्यूँ है, इस शहर में हर शख़्स परेशान सा क्यूँ है। दिल्ली की आजकल यही कहानी है और यह गाना अधिकांश लोगों के मुँह से सुना जा सकता है।
दिल्ली में लगातार तीसरे दिन भी प्रदूषण ने किसी दैत्य की तरह दिल्ली पर अपना कब्ज़ा जमाये रखा। सबसे अहम बात यह कि इस दौरान हर दिन प्रदूषण का ग्राफ लगातार बढ़ा है। हवा की गुणवत्ता उत्तरोत्तर इतनी खराब हुई है कि लोगों की साँसों पर इसने पहरा लगा दिया है। यूं तो सितंबर के आखिर से ही दिल्ली की हवा अशुद्ध होती गई है और प्रदूषण बढ़ता गया है। लेकिन ग्राफिक में दिये गए आंकड़ों में देख सकते हैं कि मंगलवार की सुबह से हर दिन कोहरे के रूप में छाए इस प्रदूषण के ग्राफ में कैसे बढ़ोत्तरी होती रही है।
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राष्ट्रीय राजधानी में आईएमए ने हेल्थ इमर्जेंसी की घोषणा पहले ही कर दी थी। एहतियात के तौर पर दिल्ली में स्कूलों को रविवार 11 नवंबर तक के लिए बंद कर दिया गया है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण, एनजीटी ने दिल्ली में निर्माण कार्यों और औद्योगिक गतिविधियों पर 14 नवंबर तक के लिए रोक लगा दी है।
फिलहाल यह उपाय काम नहीं आने वाले और दिल्ली, नोएडा, गाज़ियाबाद, गुरुग्राम तथा फ़रीदाबाद में अगले 24 घंटों तक प्रदूषण के हालात इसी तरह से खतरनाक बने रहेंगे। धूल, धुएँ और कुहासे का मिश्रण कोहरे के रूप में छाया रहेगा।
Live status of Lightning and thunder
लोग बचने के उपाय तलाश रहे हैं। इसके लिए ज़्यादातर लोग मुंह पर कपड़ा या मास्क लगाए दिख रहे हैं। इस पर व्हाट्स एप पर एक संदेश भी खूब फैलाया जा रहा है कि “घोलकर ज़हर खुद ही हवाओं में, हर शख़्स मुँह छुपाए घूम रहा है”। यह किसी को मज़ाक लग सकता है पर अगर गंभीरता से सोचें तो कहीं ना कहीं दिल्ली को गैस चैंबर में तब्दील करने में इंसानी भूमिका कम नहीं है। आखिर आपको अच्छी खबर दे दें कि उत्तर भारत के मैदानी भागों में 14 नवंबर को हल्की वर्षा होने की संभावना बन रही है। इससे कुछ राहत मिल सकती है।
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