बंगाल की खाड़ी पर एक निम्न दवाब का क्षेत्र विकसित हो गया है जो जल्द ही डिप्रेशन का रूप ले सकता है। इसके अलावा अरब सागर में महाराष्ट्र के तट के पास भी एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है।
इस बीच पिछले 24 घंटों के दौरान मॉनसून का प्रदर्शन देखें तो यह अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह और रायलसीमा में व्यापक रूप में सक्रिय रहा और भारी वर्षा देखने को मिली।
इसके अलावा उत्तरी तमिलनाडु, दक्षिणी-तटीय आंध्र प्रदेश, आंतरिक ओड़ीशा, महाराष्ट्र के उत्तरी भागों, तेलंगाना, केरल, कर्नाटक, पश्चिमी मध्य प्रदेश और पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में सामान्य मॉनसून ने हल्की बारिश दी है।
उत्तर भारत सहित शेष हिस्सों में मॉनसून सुस्त रहा।
इस दौरान सबसे ज्यादा बारिश असम के कछार में हुई। यहाँ मौसम केंद्र पर 63 mm वर्षा दर्जा की गयी। इसके अलावा पोर्ट ब्लेयर में 57 mm और रेंटाचिंताला में 45 mm वर्षा हुई।
19 सितंबर तक देश भर में वर्षा की कमी 10 प्रतिशत पर बनी रही।
मॉनसून ने इस बार अब तक सबसे ज़्यादा निराश पूर्वी और पूर्वोत्तर राज्यों को किया है, जहां सामान्य से 24% कम बारिश हुई है। जबकि उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत में सामान्य से 6 फीसदी कम वर्षा हुई है। हालांकि दक्षिण भारत में अब तक सामान्य से एक 1% अधिक बारिश देखने को मिली है।
अगले 24 घंटों के दौरान मॉनसून का प्रदर्शन देखें तो
गंगीय पश्चिम बंगाल, उत्तरी ओड़ीशा और इससे सटे झारखंड में मॉनसून सबसे अधिक सक्रिय होगा। इन भागों में अच्छी बारिश देखने को मिल सकती है।
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कर्नाटक में भी मॉनसून व्यापक रूप में सक्रिय रहेगा जिसके चलते कई जगहों पर अच्छी बारिश के साथ एक-दो जगह भारी वर्षा होने की संभावना है।
पश्चिम बंगाल और ओड़ीशा के बाकी भागों, दक्षिणी छत्तीसगढ़, आंतरिक कर्नाटक, रायलसीमा के कुछ भागों और कोंकण गोवा में सामान्य मॉनसून के साथ हल्की से मध्यम बारिश देखने को मिल सकती है।
देश के बाकी हिस्सों में मुख्यतः मॉनसून कमजोर बना रहेगा।
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