मॉनसून सीजन में अक्सर सूखे रह जाने वाले उत्तरी गुजरात और सौराष्ट्र में मॉनसून 2017 ने बीते कुछ दिनों से अलग ही रंग दिखाया। हालात यह हैं कि कई इलाके भीषण मॉनसूनी बारिश के चलते भयंकर बाढ़ की चपेट में हैं। हर तरफ हाहाकार है, और मंज़र डराने वाला है।
बनासकांठा, इडार, दीसा, पाटन, अहमदाबाद, मेहसाना और राजकोट सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं।
अब तक लगभग 83 लोग इस जलप्रलय की भेंट चढ़ चुके हैं। एक ऐसा दिल दहला देने वाला दृश्य भी देखने को मिला जिसमें एक परिवार का पूरा अस्तित्व ही खत्म हो गया। करीब 40 हज़ार से अधिक लोगों को जान बचाने के लिए अपना घर बार छोड़ना पड़ा है। राज्य के 25 से 30 हाइवे बारिश और बाढ़ में डूब गए हैं या क्षतिग्रस्त हो गए हैं। दीसा और बनासकांठा के सैंकड़ों गांवों की सकड़ें चौपट हो गई और उनका शहरों से संपर्क खत्म हो गया है।
कई रेल मार्ग भी टूट गए हैं। रेल पटरियाँ पानी में बह गई हैं। मुंबई सहित महाराष्ट्र जाने वाली कई रेलगाड़ियां देरी से चल रही हैं या रद्द कर दी गई हैं।
इन सब के बीच अब तक बाढ़ से संघर्ष कर रहे गुजरात के किसानों की तरफ किसी का ध्यान नहीं पहुंचा है। किसानों ने क्या खोया है, कितना नुकसान हुआ है यह आंकलन अभी बाकी है। लेकिन आशंका है कि बाढ़ की यह विभीषिका अपने साथ लाखों किसानों के मेहनत पर पानी फेर चुकी है। लाखों एकड़ की फसल पानी में समा गई है।
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बड़ी संख्या में मकान भी नष्ट हो गए हैं। गली-गली, गाँव-गाँव फैला है तबाही का मंज़र। यह पीड़ा गुजरात के लोगों की आँखों में साफ झलकती है। प्रकृति के इस प्रकोप की गंभीरता देख कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी गुजरात पहुंचे। प्रधानमंत्री ने हेलिकॉप्टर से गुजरात के प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण किया। उन्होने राज्य के इस जख्म पर मरहम के लिए हर संभव सहायता देने का भरोसा दिलाया और 500 करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता जारी करने का निर्देश दिया।
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इस बीच बीते 24 घंटों से बारिश कम हो गई है। लेकिन लोग अभी भी डरे हुए हैं। अनुमान है कि अगले 2-3 दिनों तक कई जगहों पर हल्की से मध्यम वर्षा जारी रहेगी।
गुजरात में प्रलय मचा रही इस बारिश के उजले पक्ष पर नज़र डालें तो राज्य के उन इलाकों की भी प्यास बुझ गई है जो अक्सर मॉनसून की बेरुखी का शिकार होते हैं। सूखी रह जाने वाली उत्तरी गुजरात और सौराष्ट्र की धरती भी तर-बतर हो गई है।
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