सुस्त शुरुआत के बाद मॉनसून ने जल्द ही रफ्तार पकड़ी और बड़ी तेज़ी से इसने देश के प्रायद्वीपीय और पूर्वोत्तर भागों को अपने दायरे में ले लिया।
पश्चिमी तटवर्ती भागों में यह सक्रिय है। पश्चिमी घाटों पर एक ट्रफ रेखा बनी हुई है, जिससे अगले 2-3 दिनों के दौरान कोंकण-गोवा और कर्नाटक के तटीय शहरों में ज़ोरदार मॉनसूनी बारिश देखने को मिल सकती है।
इधर तमिलनाड़ु को छोड़कर दक्षिण भारत के बाकी भागों में मध्यम बारिश हो सकती है।
इन भागों में मौसम की यह गतिविधि बंगाल की खाड़ी में बने चक्रवाती हवाओं के चलते देखने को मिल रही है। यह जल्द ही निम्न दबाव का क्षेत्र बन सकता है। इसके चलते आंध्र प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में बृहस्पतिवार से बारिश बढ़ने के आसार हैं।
अरब सागर में भी एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र विकसित हो रहा है। इन दोनों चक्रवाती हवाओं के चलते देश के दक्षिणी, मध्य और पूर्वी भागों में वर्षा की गतिविधियाँ बढ़ने के पूरे आसार हैं। साथ ही इससे पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और बिहार के इलाकों में मॉनसून को आगे बढ़ने में मदद दिलेगी। मॉनसून की अक्षीय रेखा को भी स्थिर रूप देने में यह सहयोगी की भूमिका अदा कर सकते हैं।
बंगाल की खाड़ी में बने इस चक्रवात ने पूर्वोत्तर राज्यों में पहुँच रही नमीं को अपनी तरफ खींच लिया है जिससे पूर्वोत्तर भारत में बारिश घटेगी। हालांकि पूर्वोत्तर राज्यों में कुछ स्थानों पर हल्के से मध्यम वर्षा जारी रहने की संभावना है।
इधर उत्तर भारत में अगले 3-4 दिनों तक कोई भी मौसमी गतिविधि नहीं देखी जाएगी। पहाड़ी भागों पर मौसम शीतल और खुशनुमा रहेगा। लेकिन मैदानी राज्यों में आर्द्रता बढ़ने से दोपहर के समय उमस काफी ज़्यादा परेशान कर सकती है।
हालांकि देश के अधिकांश हिस्सों में तापमान सामान्य के आसापास ही रहेगा।