मॉनसून की अक्षीय रेखा उत्तर में हिमालय की तराई वाले भागों की तरफ चली गई है, जिससे दक्षिण पश्चिम मॉनसून देश के अधिकांश हिस्सों में कमज़ोर बना हुआ है। इस सप्ताह के अंत तक बंगाल की खाड़ी में एक मौसमी सिस्टम बनने की उम्मीद है, इसके बाद ही मॉनसून फिर से सक्रिय हो सकता है।
इस बीच एक नया पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत की तरफ आता हुआ दिखाई दे रहा है। यह फिलहाल उत्तरी पाकिस्तान के आसपास पहुँच चुका है। इसके प्रभाव से जम्मू कश्मीर में बुधवार को हल्के बादल दिखने शुरू हो जाएंगे।
मॉनसून की अक्षीय रेखा पश्चिम में हिमालय की तराई वाले भागों में है। बहराइच, गोरखपुर, भागलपुर और दिघा होते हुए इसका पूर्वी सिरा बंगाल की खाड़ी में पहुँच रहा है।
हमारा अनुमान है कि इस मॉनसून रेखा वाले भागों में बारिश की गतिविधियां बनी रहेंगी। विशेषकर उत्तरी पश्चिम बंगाल, सिक्किम, असम, मेघालय और अरूणाचल प्रदेश में भारी वर्षा हो सकती है।
उत्तरी बिहार और इसके आसपास चक्रवाती हवाओं का एक क्षेत्र बन रहा है। इससे निकलकर एक ट्रफ रेखा झारखण्ड और ओड़ीशा होते हुए आंध प्रदेश तक बनी हुई है।
इन बदलावों के चलते बुधवार को बिहार, झारखण्ड, छत्तीसगढ़, ओड़ीशा और आंध्र प्रदेश में हल्की से मध्यम बारिश दर्ज किए जाने का अनुमान है।
इधर पश्चिमी तटों पर एक ट्रफ रेखा बनी हुई है जिसके प्रभाव से तटवर्ती कर्नाटक में मध्यम वर्षा हो सकती है। कोंकण-गोवा और केरल में बारिश की मात्रा हल्की रहेगी।
स्काईमेट का अनुमान है कि पश्चिमी तटों पर अगले दो दिनों में मौसम ज़ोर पकड़ेगा, जिससे तटीय गुजरात और महाराष्ट्र तक बारिश की गतिविधियां बढ़ जाएंगी।
हालांकि मध्य और पश्चिमी भारत के कई भागों और दक्षिण भारत के भीतरी हिस्सों में मौसम आमतौर पर शुष्क रहेग