देश में गेहूं के व्यापक उत्पादन की संभावना को देखते हुए सरकार फिर से इसके आयात पर कर लगाने की तैयारी में है। इससे पहले मांग और आपूर्ति में संतुलन बनाए रखने के लिए 8 दिसम्बर को गेहूं पर लागू 10 प्रतिशत का आयात शुल्क हटा लिया गया था।
इस बार भारत में गेहूं की बम्पर पैदावार की उम्मीद है जिससे कीमतों में गिरावट होगी। कीमतें बहुत नीचे ना जाएँ और किसानों को उनके उत्पाद की अच्छी कीमत मिले इसके लिए आयात शुल्क फिर से लगाने का सरकार विचार कर रही है। मॉनसून के 2016 में बेहतर प्रदर्शन के चलते खरीफ फसलों की अच्छी पैदावार हुई और अब गेहूं सहित रबी फसलों का भी बड़े पैमाने पर उत्पादन की संभावना है।
वर्ष 2016-17 में रिकॉर्ड 96.64 मिलियन टन गेहूं उत्पादन का अनुमान है। इन संभावनाओं के बीच सरकार ने विपणन वर्ष 2017-18 में 33 मिलियन टन गेहूं खरीद का लक्ष्य तय किया है। ताकि किसानों को उनकी उपज की अच्छी कीमत मिल सके, इसके लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने की भी तैयारी है।
आखिर में आपको यह भी बता दें कि पंजाब से लेकर उत्तर और मध्य प्रदेश तक गेहूं की फसल धीरे-धीरे परिपक्व होने को है। इस बीच गेहूं उत्पादक राज्यों में 15 मार्च तक मौसम मुख्य रूप से साफ और शुष्क रहने की संभावना है। हालांकि उत्तर-पश्चिमी हवाएँ बीच-बीच में रफ्तार पकड़ सकती हैं।
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