दिल्ली-एनसीआर में एक सप्ताह से प्रदूषण से राहत है। इससे पहले नवंबर के शुरुआती 15 दिन दिल्ली में बिताना मुश्किल हो गया था। दिल्ली का यह हाल इसी वर्ष नहीं है...लेकिन इस वर्ष प्रदूषण पिछले सालों की तुलना में निःसन्देह बढ़ा है। यह भी कह सकते हैं कि हर वर्ष प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है। अब एक सप्ताह की व्यापक राहत के बाद फिर से अगले 3-4 दिनों के बाद प्रदूषण बढ़ सकता है। अनुमान है कि उत्तर-पश्चिमी तेज़ हवाएँ धीरे-धीरे कम होंगी। जिससे 27-28 नवंबर से दिल्ली, नोएडा, गाज़ियाबाद, फ़रीदाबाद और गुरुग्राम में धुंध और कुहासा शुरू होगा।
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ऐसे में ओवर क्राऊडेड दिल्ली में रोज़ पैदा होने वाले धूल, धुएँ, कार्बन सहित प्रदूषण के कण फिर से हवा की निचली सतह में टिक जाएंगे और धुंध में लिपटकर फिर से प्रभावित करेंगे। यानि अगले कुछ दिनों में दिल्ली की हवा फिर से हो जाएगी ज़हरीली। हालांकि पिछले दिनों से प्रदूषण कम होगा लेकिन ज़हर तो ज़हर होता है और वो नुकसान ही पहुंचता है।
ऐसे में सतर्क रहिए बचाव के उपाय कीजिये और प्रदूषण को बढ़ाने में नहीं बल्कि इसे कम करने में अपना योगदान दीजिये। अलाव जलाने से बचें, अगर आपकी गाड़ी धुआँ देती है तो उसे ठीक कराएं, निर्माण स्थलों पर धूल है तो उस पर पानी का छिड़काव करें।
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इस बीच दिल्ली में प्रदूषण की गंभीरता के मद्देनज़र राष्ट्रीय हरित अधिकरण, एनजीटी ने पाँच राज्यों और केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि फसलों को जलाने की बजाए इसे निपटाने के अन्य विकल्पों की तलाश करें। एनजीटी ने 6 दिसम्बर तक रिपोर्ट सौंपने को कहा है। बैठक में कृषि मंत्रालय के अधिकारियों के अलावा भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड के वैज्ञानिकों और एनटीपीसी के इंजीनियर भी शामिल रहेंगे।
उम्मीद करते हैं कि ऐसी कवायदों से आने वाले वर्षों में प्रदूषण को कम करने में मदद ज़रूर मिलेगी।
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