भारत में चाहे मॉनसून जमकर बरसे या देश में सूखे जैसे हालात रहें बिहार और असम ऐसे राज्य हैं जहां बाढ़ की विभीषिका अभिशाप बनकर प्रलय अवश्य मचाती है। इसकी बड़ी वजह है नेपाल, चीन, तिब्बत और भूटान में होने वाली भारी बारिश। यह बारिश बिहार और असम में होने वाली बारिश के साथ मिलती है तब ब्रह्मपुत्र और कोशी सहित कई नदियां रौद्र रूप धरण करती हैं और कई इलाकों में आती है जल प्रलय।
बिहार में हर साल से अलग इस बार बाढ़ का प्रचंड रूप देखने को मिला। राज्य में कम से डेढ़ करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं।
पूर्वी और पश्चिमी चंपारण, सीतामढ़ी और मधुबनी से लेकर सुपौल, किशनगंज, अररिया, पुर्णिया और भागलपुर में अगस्त महीने में मूसलाधार बारिश हुई जिससे इन भागों में गाँव के गाँव, खेत खलिहान सब जलमग्न हो गए हैं। राज्य के उत्तरी भागों में जन जीवन ठप हो गया है।
भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो द्वारा सैटेलाइट से ली गई तस्वीरों में आप देख सकते हैं कि कैसे और किन-किन जिलों में पानी धीरे-धीरे भरता चला गया है जो अपने साथ अनेकों लोगों के बसेरे भी बहा ले गया। इस मैप में बाढ़ की स्थिति को नीले रंग से दिखाया गया है।
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राज्य के 18 ज़िले बाढ़ के पानी में जलप्लावित हैं। 1 करोड़ 46 लाख लोग प्रभावित हुए हैं। लगभग साढ़े तीन सौ लोग मारे गए हैं। राज्य की 203 सड़कें, अनेकों पुल और रलमार्ग बाढ़ की आँधी में बह गए हैं जिससे कई इलाकों में आवागमन बंद हो गया है।
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फिलहाल बिहार में भारी बारिश बंद है लेकिन राज्य में अगले 3-4 दिनों तक हल्की से मध्यम वर्षा जारी रहने के आसार हैं। नेपाल में भी हल्की से मध्यम वर्षा हो सकती है। यानि कह सकते हैं कि राज्य में संकट अभी टाला नहीं नहीं है।
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