चार माह लंबा मॉनसून सीज़न सामान्य से कम बारिश के साथ 30 सितंबर को सम्पन्न हुआ। इस वर्ष देश भर में 95 प्रतिशत वर्षा दर्ज की गई। 1 जून से 30 सितंबर के बीच कुल 841.3 मिलीमीटर बारिश हुई है।
स्काइमेट ने 28 मार्च को जारी किए अपने मॉनसून पूर्वानुमान में 2017 में कमजोर मॉनसून की आशंका व्यक्त करते हुए 95 फीसदी बारिश की संभावना जताई थी। स्काइमेट अपनी भविष्यवाणी पर मॉनसून सम्पन्न होने तक अडिग रहा।
दूसरी ओर भारत सहित दुनिया भर के कई संगठनों ने मॉनसून पूर्वानुमान में समय-समय पर बदलाव किए। भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी ने भी अपना पूर्वानुमान 96 प्रतिशत से बढ़ाकर 98 प्रतिशत कर दिया।
अमरीका की नेशनल ओशनिक एंड एट्मोस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) और ऑस्ट्रेलिया की ब्यूरो ऑफ मिटीओरोलॉजी (BOM) के मॉडल, अल नीनो के अगस्त के मध्य में कमजोर होने का संकेत कर रहे थे। इसके चलते अगस्त और सितंबर में मॉनसून के प्रदर्शन में सुधार दिखाया जा रहा था। यही वजह है कि कई एजेंसियों ने अपने मॉनसून पूर्वानुमान में संशोधन किए और अधिक बारिश का अनुमान जताया।
स्काइमेट ने भी अल नीनो की बदलती स्थितियों पर विचार किया लेकिन उभरते मैडेन जूलियन ओशीलेशन (MJO) और इंडियन ओशन डायपोल (IOD) को नज़र अंदाज़ नहीं किया। यही वजह है कि जहां दुनियाभर के कई संगठनों ने भारत के दक्षिण-पश्चिम मॉनसून पूर्वानुमान में बदलाव किया वहीं स्काइमेट 95 फीसदी बारिश के अपने पूर्वानुमान पर कायम रहा।
भारत में जून में मॉनसून के बेहतरीन प्रदर्शन के साथ 104% बारिश रिकॉर्ड की गई। उत्तर-पश्चिम भारत में इस दौरान सबसे व्यापक वर्षा हुई।
मॉनसून ने जुलाई में भी देश को अच्छी बारिश की सौगात दी और सामान्य से अधिक यानि 102% वर्षा दर्ज की गई।
जुलाई और अगस्त महीनों में भारी बारिश के चलते गुजरात, दक्षिणी राजस्थान, मुंबई, असम, बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्रों और ओड़ीशा में बाढ़ का प्रकोप देखने को मिला।
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कुछ भागों में लगातार मूसलाधार वर्षा के चलते एक समय मॉनसून वर्षा 106% तक पहुँच गई। हालांकि यह स्थिति थोड़े समय के लिए ही थी। इन आकड़ों ने भी एजेंसियों को मॉनसून पूर्वानुमान संशोधित करने के लिए प्रेरित किया।
स्काइमेट ने स्थिति पर पैनी नज़र बनाए रखी। उत्साह में आकर आंकड़ों में कोई फेरबदल नहीं किया। स्काइमेट ने मॉनसून में ब्रेक की संभावना को ध्यान में रखते हुए बताया कि सामान्य से ऊपर चल रहे वर्षा के आंकड़े जल्द नीचे आएंगे।
यही सच भी हुआ। मॉनसून की अक्षीय रेखा हिमालय के तराई क्षेत्रों में लंबे समय तक टिकी रही जिससे मध्य और उत्तर भारत में बारिश बंद हो गई और सितंबर के पहले पखवाड़े में देश भर के अधिकांश हिस्सों में मौसम शुष्क रहा।
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मॉनसून 2017 के साथ क्षेत्रवार वर्षा की भी स्काइमेट की भविष्यवाणी सच साबित हुए।
मॉनसून ने सबसे अधिक निराश मणिपुर और उत्तर प्रदेश को किया। मणिपुर में 33 प्रतिशत कम और उत्तर प्रदेश में 29 फीसदी कम मॉनसून वर्षा हुई। हरियाणा में 26, नागालैंड में 25 और पंजाब में 22 फीसदी कम बारिश रिकॉर्ड की गई।
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