दक्षिण-पश्चिम मॉनसून का आगाज़ आखिरकार हो गया है। सबसे पहले मॉनसून अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह पर पहुंचता है और उसके बाद केरल का नंबर आता है। अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह में आमतौर पर मॉनसून 20 मई को आता है लेकिन इस बार उम्मीद और सामान्य समय से कुछ पहले ही मॉनसून ने द्वीपसमूह के कुछ भागों में दस्तक दे दी है। मॉनसून की उत्तरी सीमा जिसे नॉर्दर्न लिमिट ऑफ मॉनसून यानि एनएलएम कहा जाता है, कर निकोबार के आगे पहुँच गई है।
इसके बाद मॉनसून आगे बढ़ेगा और जब इसका पश्चिमी सिरा केरल में पहुंचेगा उसी दौरान इसका पूर्वी छोर पूर्वोत्तर राज्यों में पहुँच जाएगा। इसीलिए दक्षिण भारत और पूर्वोत्तर भारत में मॉनसून के आने का समय लगभग-लगभग एक ही होता है। अभी पूर्वोत्तर राज्यों में मॉनसून के आने में लगभग एक पखवाड़े से भी अधिक का समय बाकी है। इसके बावजूद यहाँ बारिश बढ़ने की संभावना है। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार बंगाल की खाड़ी से पूर्वोत्तर राज्यों में भरपूर नमी आ रही है जिससे यहाँ अच्छी बारिश मॉनसून आने से पहले भी होती रहेगी।
पूर्वोत्तर राज्यों में मॉनसून के आने से पहले प्री-मॉनसून हलचल तेज़ हो जाती है। इस बार भी मई की शुरुआत से ही रुक-रुक कर असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम सहित बाकी हिस्सों में बारिश हो रही है। पिछले 24 घंटों के दौरान प्री-मॉनसून आंकड़े देखें तो अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, मणिपुर, मिज़ोरम, नागालैंड और त्रिपुरा में अच्छी प्री-मॉनसून वर्षा हुई है। इस दौरान तेज़पुर में 22 मिमी, डिब्रुगढ़ और गंगटोक में 16 मिमी, उत्तरी लखीमपुर में 14 मिमी, धुबरी में 5 मिमी, पासीघाट में 5 मिमी, मजबत में 2 मिमी और जोरहाट में 1 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई है।
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अब एक तरफ मॉनसून आगे बढ़ता रहेगा और इससे बंगाल की खाड़ी से हवाएँ आने वाले दिनों में भी पूर्वोत्तर भारत के राज्यों पर आती रहेंगी। साथ बिहार पर बने चक्रवाती हवाओं के क्षेत्र के कारण भी पूर्वोत्तर राज्यों में प्री-मॉनसून गतिविधियां इसी तरह बनी रहेंगी। अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, मणिपुर, मिज़ोरम, नागालैंड और त्रिपुरा में आने वाले दिनों में बारिश और बढ़ जाएगी।
Image credit: Northeast Today
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