25 जुलाई के बाद से लगातार 4 सप्ताह ऐसे रहे हैं, जब सामान्य से अधिक वर्षा रिकॉर्ड की गई है। इससे देश में ना सिर्फ मॉनसून के आगमन में देरी की भरपाई हुई है बल्कि जून और जुलाई के शुरुआत तक बारिश में रही कमी को भी पूरा किया है।
जुलाई की समाप्ति के समय देश में बारिश में कमी 9% की थी लेकिन उसके बाद स्थितियां सुधरीं जिसके चलते 25 अगस्त तक मॉनसून वर्षा सामान्य से एक फीसदी ऊपर पहुंच गई।
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स्काइमेट के पास उपलब्ध बारिश के आंकड़ों के अनुसार 1 जून से 25 अगस्त तक पूरे देश में 672.4 मिमी बारिश हुई है। जो सामान्य 667.7 मिमी बारिश से 1% अधिक है। इसमें मध्य भारत के भागों को सबसे अधिक बारिश मिली है जहां सामान्य से 12% अधिक वर्षा हो चुकी है। दक्षिण भारत में भी स्थितियाँ बदली हैं और बारिश सामान्य से 7% ऊपर पहुँच गई है। दूसरी ओर उत्तर भारत में 5% और पूर्वी तथा पूर्वोत्तर भारत में 16% की कमी बरकरार है।
इस बीच अब मॉनसून कमजोर हो जाएगा और इस सप्ताह कहीं भी भीषण बारिश की संभावना नहीं है।
मॉनसून वर्षा में आएगी कमी
इस सप्ताह मॉनसून कमजोर रहेगा, बारिश कम होगी और पिछले चार हफ़्तों में भारी बारिश का क्रम टूटेगा। आने वाले दिनों में एक के बाद एक मॉनसून सिस्टम बंगाल की खाड़ी में विकसित होंगे और मध्य तथा पश्चिमी भारत में जाएंगे।
इसके चलते मध्य भारत में ओड़ीशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश में मॉनसून सक्रिय रहेगा। हालांकि पहले से बारिश में कमी आएगी। दूसरी ओर गुजरात और राजस्थान में इस हफ्ते के शुरुआती दिनों में अच्छी मॉनसून वर्षा देखने को मिलेगी।
पश्चिमी घाट देश के सबसे अधिक बारिश वाले क्षेत्र हैं, जहां मॉनसून सीज़न में सबसे ज़्यादा बारिश होती है। लेकिन इस सप्ताह पश्चिमी घाट पर महज़ हल्की से मध्यम बारिश होगी। मुंबई में जहां पिछले दिनों भीषण बारिश हुई थी, इस सप्ताह मात्र हल्की वर्षा की उम्मीद है। पूर्वोत्तर भारत में भी भारी वर्षा होती है लेकिन यहाँ भी अच्छी वर्षा के आसार नहीं हैं।
दिल्ली-एनसीआर में छिटपुट वर्षा
दिल्ली-एनसीआर में इस सप्ताह के आखिरी दो दिनों में थोड़े समय के लिए बारिश होने की संभावना है। पिछले सप्ताह यमुना नदी में बाढ़ की चेतावनी जारी की गई थी क्योंकि उत्तर भारत के पहाड़ों पर पिछले दिनों भीषण बारिश रिकॉर्ड की गई है।
फसलों पर प्रभाव
इस समय फसलों की जो स्थिति है उसमें हल्की बारिश फसलों के लिए काफी लाभदायक होती है। ज़्यादातर जगहों पर फसलें पुष्पित हो रही हैं यान दाने बनने शुरू हो गए हैं। ऐसे में हल्की बारिश से अनाज की अच्छी उत्पादकता होती है। फसलों की वर्तमान स्थिति में भारी बारिश नुकसान पहुंचाती है। भारी बारिश से फसलों में बन रहे फूल झड़ने का ख़तरा रहता है जिससे उत्पादकता में कमी आने की आशंका रहती है।
Image credit: Cruise Critic
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