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[Hindi] मॉनसून 15 अगस्त से 3 सप्ताह के लिए हो जाएगा कमजोर | बारिश, पूर्वी और उत्तर भारत में रहेगी सीमित | केरल, कर्नाटक, कोंकण-गोवा व गुजरात में बाढ़ से मिलेगी राहत | मुंबई में भी बाढ़ का नहीं दिखेगा प्रकोप - जतिन सिंह, एमडी, स्काइमेट

August 13, 2019 1:21 PM |

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स्काइमेट की उम्मीदों के अनुसार पिछले सप्ताह देश के मध्य भागों और पश्चिमी तटों पर मूसलाधार वर्षा रिकॉर्ड की गई। मूसलाधार वर्षा के चलते महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और गुजरात में कई स्थानों पर बाढ़ का प्रकोप देखने को मिला। महाराष्ट्र में सांगली, नागपुर, कोल्हापुर, अकोला और महाबलेश्वर में बाढ़ से जन-जीवन बुरी तरह प्रभावी हुआ। बाढ़ प्रभावित इलाकों में एनडीआरएफ़ सहित अन्य संबद्ध एजेंसियां लगातार राहत और बचाव काम में जुटी हैं।

इस मूसलाधार बारिश के चलते देश में बारिश अब सामान्य के स्तर पर पहुँच गई है। स्काइमेट के पास उपलब्ध बारिश के  आंकड़ों के अनुसार 1 जून से 12 अगस्त के बीच देश में औसत 560 मिमी बारिश के मुकाबले 568 मिमी वर्षा रिकॉर्ड की गई है।

पिछले कुछ समय से हो रही बारिश से सबसे अधिक फायदा मध्य भारत को हुआ है। जहां बारिश सामान्य से 13% अधिक के स्तर पर पहुँच गई है। दक्षिण भारत में भी फायदा हुआ और अब आंकड़ा सामान्य से 5% अधिक के स्तर पर आ गया है। हालांकि ज़्यादातर बारिश तटीय कर्नाटक और केरल में हुई है। तेलंगाना भी सामान्य के आसपास रहा लेकिन रायलसीमा और तमिलनाडु पीछे चल रहे हैं।

दूसरी ओर पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में बारिश अभी भी सामान्य से 15%  पीछे बनी हुई है। एक सप्ताह में बारिश में आए अंतर के तुलनात्मक आंकड़े टेबल में देख सकते हैं।

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मॉनसून में फिर से आएगी सुस्ती

अब देश में शुष्क मौसम का एक लंबा दौर शुरू होने वाला है। हालांकि एक निम्न दबाव का क्षेत्र बंगाल की खाड़ी में विकसित होने के बाद मध्य भारत पर पहुँच गया है। लेकिन इसका प्रभाव थोड़े ही समय के लिए होगा। 13 और 14 अगस्त को यह सिस्टम मध्य भारत में बारिश देने के बाद कमजोर हो जाएगा। उसके बाद 15 अगस्त से देश के अधिकांश इलाकों में मॉनसून कमजोर हो जाएगा और बारिश की गतिविधियां कम हो जाएंगी।

उसके बाद बारिश की गतिविधियां मुख्यतः ओड़ीशा, बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश सहित पूर्वी भारत के भागों में रहेंगी क्योंकि मॉनसून की अक्षीय रेखा हिमालय के तराई क्षेत्रों में पहुँच जाएगी। राहत की बात यह कि इस बार उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्रों और उत्तरी बिहार में बाढ़ का प्रकोप नहीं दिखेगा क्योंकि भारी बारिश की आशंका नहीं है।

Read this article in English: MD SKYMET, JATIN SINGH: POOR MONSOON RAINS FORECAST FOR THREE WEEKS FROM AUGUST 17, WEATHER ACTIVITY TO REMAIN CONFINED TO EAST AND NORTH INDIA. RELIEF FROM FLOODS IN KERALA, KARNATAKA, KONKAN GOA AND GUJARAT, NO HAVOC CREATING RAINS IN MUMBAI

पश्चिमी घाट पर जहां लंबे समय से मूसलाधार बारिश हो रही थी अब बारिश में काफी कमी आ जाएगी और बाढ़ की स्थितियाँ सुधरेंगी। दक्षिण भारत में ज़्यादातर जगहों पर मॉनसून कमजोर रहेगा। हालांकि इस दौरान पूर्वी भारत की तरह पूर्वोत्तर भारत और उत्तर भारत के भागों में बारिश रुक-रुक कर होती रहेगी।

बीते दिनों से मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में बारिश देने वाला सिस्टम पहले से ही कमजोर हो गया है और इन राज्यों में बारिश कम हो गई है। इस सप्ताह के आखिर में मॉनसून और कमजोर हो जाएगा। इस दौरान देश में बारिश के आंकड़े सामान्य के आसपास बने रहेंगे या मामूली रूप से नीचे आ सकते हैं। लेकिन अगला सप्ताह जैसे ही शुरू होगा बारिश में कमी के आंकड़ों में तेज़ी से वृद्धि होगी क्योंकि उस समय अधिकांश इलाकों में बारिश नहीं हो रही होगी। उसके बाद वाला हफ्ता भी कम बारिश देगा जिससे कमी का स्तर कुछ और ऊपर जाएगा।

मुंबई में भारी बारिश की आशंका नहीं

देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में इस सप्ताह मॉनसून कमजोर रहेगा और सामान्य बारिश होती रहेगी। बाढ़ लाने वाली बारिश मुंबई में अगले कुछ दिनों के दौरान अपेक्षित नहीं है लेकिन तटीय शहर होने के चलते एक-दो बार भारी बारिश की संभावना से इंकार भी नहीं किया जा सकता है। पिछले हफ्ते भी मुंबई में सभी स्थानों पर एक साथ भारी बारिश नहीं हुई थी और कुछ-कुछ स्थानों पर ही मध्यम बारिश देखने को मिली थी।

फसलों पर मॉनसून का प्रभाव

महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और गुजरात में बाढ़ के बाद किसानों को सुझाव है कि धान के खेतों से पानी निकालने का प्रबंध करें क्योंकि लंबे समय तक अगर फसल पानी में डूबी रहेगी तो उसके नष्ट होने का खतरा रहेगा। लेकिन सोयाबीन और कपास के खेतों से पानी निकालने की ज़रूरत नहीं क्योंकि यह फसलें जिस अवस्था में हैं उसमें अधिक पानी से फायदा ही पहुंचेगा।

पूर्वी भारत में अच्छी बारिश की संभावना है। किसानों को धान के खेतों में जमा अतिरिक्त पानी को निकालने के लिए तैयार रहने की ज़रूरत है। हालांकि गन्ने की फसल को इस पानी से अधिक नुकसान होने का डर नहीं है।

Image Credit: China.org.cn

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