भारत के अधिकांश हिस्सों में कमजोर होने जा रहा है मॉनसून। अगले दो सप्ताह बारिश में आएगी कमी। जुलाई के आखिर में बढ़ सकती है बारिश। मुंबई में बाढ़ की आशंका कम। सोयाबीन सहित खरीफ़ फसलों की बुआई होगी प्रभावित- जतिन सिंह, एमडी स्काइमेट
जुलाई की शुरुआत उम्मीद के अनुसार अच्छी बारिश के साथ हुई। शुरुआती 10 दिनों में मॉनसून का व्यापक प्रदर्शन मध्य, पूर्वी और पूर्वोत्तर राज्यों में देखने को मिला। इन भागों में भारी बारिश के कारण हर दिन बारिश में कमी के आंकड़ों में 2 से 3% की गिरावट देखने को मिली।
यही कारण है कि 1 से 30 जून के बीच देश में बारिश में कमी का आंकड़ा जहां 33% पर था, वहीं 13 जुलाई को घटकर 12% पर आ गया। मॉनसून सीज़न जब से शुरू होता है यानि 1 जून से 13 जुलाई के बीच भारत में कुल बारिश 246.3 मिमी हुई थी जबकि इस दौरान सामान्यतः 279.8 मिमी बारिश होती है। देश के अलग-अलग क्षेत्रों में बारिश के आंकड़े नीचे टेबल में दिए गए हैं।
हालांकि स्थितियाँ एक बार फिर से बदल रही हैं। जैसा स्काइमेट ने अनुमान लगाया था देश भर में बारिश कम होने वाली है क्योंकि मॉनसून में ब्रेक की कंडीशन अगले कुछ दिनों के दौरान देश भर में देखने को मिलेगी। इसकी झलक कल ही मिल गई क्योंकि 14 जुलाई को बारिश में कमी का आंकड़ा बढ़कर 13% पर आ गया। आने वाले दिनों में मॉनसून वर्षा में कमी आने के कारण में यह आंकड़ा और ऊपर जाएगा। इस बीच मॉनसून में पिछले कुछ दिनों से प्रगति नहीं हुई है। 10 जून से मॉनसून आगे नहीं बढ़ा है। 14 जुलाई को भी मॉनसून की उत्तरी सीमा बाड़मेर, जोधपुर, चुरू, लुधियाना और कपूरथला पर ही थी।
ब्रेक मॉनसून कंडीशन
मॉनसून में ब्रेक की कंडीशन आमतौर पर अगस्त में देखने को मिलती है जब मॉनसून देश के सभी भागों को कवर कर लेता है और जब मॉनसून ट्रफ हिमालय के तराई क्षेत्रों में पहुँच जाती है। जुलाई में ऐसा बहुत कम होता है लेकिन इस बार जुलाई के पहले पखवाड़े में ही मॉनसून में ब्रेक की कंडीशन देखने को मिल रही है। अब देश के ज़्यादातर भागों में बारिश में कमी आने वाली है।
मॉनसून कमजोर हो रहा है इसलिए अगले एक सप्ताह तक देश के पूर्वी और पूर्वोत्तर भागों, तराई क्षेत्रों और कोंकण गोवा से लेकर तटीय कर्नाटक और केरल में अच्छी बारिश होगी। जबकि बाकी हिस्सों में मॉनसून सुस्त रहेगा और बारिश कम होगी। अधिकांश इलाकों में शुष्क मौसम होगा। इस दौरान मध्य भारत और उत्तर-पश्चिमी भारत सबसे अधिक प्रभावित हो सकते हैं। दक्षिण भारत पहले ही कमजोर मॉनसून का शिकार रहा है। यहाँ सामान्य से 28% कम वर्षा हुई है। लेकिन मॉनसून में ब्रेक की स्थिति में रायलसीमा और तमिलनाडु में कुछ बारिश हो सकती है।
खरीफ़ फसलों पर मॉनसून का असर
मराठवाड़ा, मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान में सोयाबीन, कपास, चना और मक्का जैसी खरीफ फसलों की बुआई में पहले ही पिछड़ रही है। आने वाले दिनों में मॉनसून के कमजोर होने की संभावनाओं के बीच इन फसलों की बुआई के और प्रभावित होने की आशंका है। यही नहीं धान और दलहन सहित अन्य खरीफ फसलों पर भी कमजोर मॉनसून का असर दिखेगा।
इन सबके बीच बंगाल की खाड़ी में 17 जुलाई के आसपास एक मौसमी सिस्टम विकसित होने वाला है। हालांकि यह बहुत प्रभावी बनेगा इसकी संभावना बहुत कम है। यही नहीं सिस्टम विसकित होने के बाद जल्द ही कमजोर हो जाएगा। इसके प्रभाव से ओड़ीशा और दक्षिण भारत के पूर्वी तटीय क्षेत्रों में बारिश की कुछ हलचल देखने को मिल सकती है। लेकिन देश के बाकी भागों में इससे बारिश नहीं बढ़ने वाली।
पश्चिमी तटों पर उत्तरी कोंकण क्षेत्र खासकर मुंबई और आसपास के भागों में भी मॉनसूनी हवाएँ कमजोर रहेंगी। इसलिए मुंबई सहित अन्य नज़दीकी जिलों में बाढ़ वाली बारिश होने की संभावना नहीं है। कुल मिलकर कह सकते हैं कि पिछले पखवाड़े के मुक़ाबले इस पखवाड़े में बारिश में कमी रहेगी।
Image credit: Indian Express
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