जिस समय यह लेख लिखा जा रहा है उस समय देश भर में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून 2019 की बारिश सामान्य से 43% पीछे है। मॉनसून 2019 दोनों स्तरों पर अब तक निराशाजनक रहा है क्योंकि इसने ना तो अच्छी बारिश दी है और ना ही औसत रफ्तार से आगे बढ़ा है। जून के मध्य तक आमतौर पर मॉनसून देश के दो-तिहाई हिस्सों पर पहुँच जाता है लेकिन इस बार हालात बेहद चिंताजनक हैं और मॉनसून महज़ 10% क्षेत्रों पर ही पहुंचा है।
जून के शुरुआती 15 दिनों में देश के अलग-अलग हिस्सों में जो बारिश हुई है, वह अपने आप में में मॉनसून के हालात का बयान करने के लिए काफी है। स्काइमेट के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार देश के मध्य भागों में बारिश 58% कम हुई है, जहां खेती का बड़ा हिस्सा वर्षा आश्रित है। इसके बाद पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में 45% कम, दक्षिण में 31% कम और उत्तर-पश्चिम में 21% कम वर्षा हुई है।
बारिश में कमी के कारण देश भर के 91 जलाशयों पर भी असर देखने को मिला है। इस समय इन जलाशयों में महज़ 31.65 बीसीएम पानी उपलब्ध है जो कुल क्षमता का महज़ 20% है।
जलाशयों की स्थिति*
*श्रोत-केंद्रीय जल आयोग
मध्य क्षेत्र में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कुल 12 जलाशय हैं जिनकी जल ग्रहण क्षमता 42.30 बीसीएम की है। लेकिन 13 जून को जारी किए गए बुलेटिन के अनुसार इन जलाशयों में महज़ 10.06 बीसीएम जल ही उपलब्ध है जो कुल क्षमता का महज़ 24% है।
क्षेत्र और राज्यवार जलाशयों में उपलब्ध जल की स्थिति
पश्चिमी क्षेत्र में भी हालात कुछ इसी तरह हैं और यहाँ कुल क्षमता का महज़ 10% जल उपलब्ध है। जबकि पिछले वर्ष इस क्षेत्र के जलाशयों में सामान्य का 13% और पिछले 10 वर्षों के दौरान औसत जल उपलब्धता 17% थी।
दक्षिणी क्षेत्र में जलाशयों में कुल क्षमता का 11% जल उपलब्ध है। जबकि बीते साल यहाँ कुल क्षमता का 15% और पिछले 10 वर्षों का औसत 15% रहा है।
अब कैसा होगा मॉनसून का रुख
मौसम की स्थितियाँ बदलती हुई दिखाई दे रही हैं। बंगाल की खाड़ी में 19 जून को चक्रवाती क्षेत्र बनने की संभावना है। यह मौसमी सिस्टम जल्द ही प्रभावी होकर निम्न दबाव का क्षेत्र बन सकता है। इसके कारण जून के आखिरी 10 दिनों में मॉनसून ना सिर्फ रफ़्तार पकड़ेगा बल्कि इसका प्रदर्शन भी अच्छा होगा। स्काइमेट का आंकलन है कि इसी दौरान देश के मध्य और पूर्वी भागों में अच्छी बारिश होने की संभावना है। दक्षिण भारत में भी मध्यम बारिश के आसार हैं।
जून के आखिर में बुआई के लिए अच्छा समय
आगामी बारिश से सबसे अधिक फायदा महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार और झारखंड को होगा क्योंकि इन राज्यों में अच्छी वर्षा के संकेत मिल रहे हैं। इसके चलते मध्य और पूर्वी भारत में बुआई के लिए समय स्थितियाँ अनुकूल हो जाएंगी। किसान भी बुआई के काम में तेज़ी ला सकते हैं।
(नीचे दिये गए मैप में वर्ष 2018 और 2019 को 11 और 13 जून को मिट्टी में नमी की स्थिति दर्शाई गई है)
फसलों की बुआई के लिए सलाह
मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और दक्षिण भारत के राज्यों में अगर आने वाले दिनों में अच्छी बारिश होती है और तापमान 40 डिग्री के आसपास बना रहता है तो सोयाबीन की बुआई के लिए अच्छा समय रहेगा।
अगर कपास की बुआई पहले ही कर दी गई है तो अगले कुछ दिनों तक सिंचाई ना करें और खेतों से पानी की निकासी का प्रबंध करें।
बिहार और झारखंड जैसे राज्यों में धान प्रमुखता से बोया जाता है। इन राज्यों में आने वाले दिनों में धान की रोपाई के लिए मौसम पूरा साथ देगा और बारिश से फसल को काफी लाभ मिलेगा।
इसी तरह पंजाब और हरियाणा में 21 से 30 जून के बीच रुक-रुक कर हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है। इसके चलते इन दोनों राज्यों में धान की रोपाई का काम तेज़ी से आगे बढ़ने की उम्मीद है।
दूसरी ओर मुंबई में 25 जून के आसपास अच्छी बारिश के संकेत मिल रहे हैं। इस मॉनसून सीज़न में यह मुंबई में पहला अच्छी वर्षा का दौर होगा। अच्छा होगा अगर मुंबई के लोग और राज्य का सरकारी तंत्र अच्छी बारिश की आशंका को ध्यान में रखते हुए सतर्क रहेगा।
Image credit: The Hindu Business Line
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