भारत के दोनों तटों पर समुद्र में पिछले सप्ताह चक्रवाती तूफान उठे। अरब में बना चक्रवाती तूफान ‘महा’ और बंगाल की खाड़ी में तूफान बुलबुल विकसित हुआ। इन दोनों तूफानों के कारण उत्तर-पूर्वी मॉनसून दक्षिण भारत में इस महीने कमजोर बना हुआ है। उत्तर-पूर्वी मॉनसून के कारण मुख्यतः दक्षिण भारत के राज्यों में बारिश होती है। अक्टूबर में दक्षिण भारत के पांचों क्षेत्रों में सामान्य से अधिक वर्षा रिकॉर्ड की गई। लेकिन नवंबर में फिलहाल अब तक बारिश की कमी रही है। तमिलनाडु में खासतौर से मॉनसून वर्षा में कमी रही है, जहां उत्तर-पूर्वी मॉनसून से ही सबसे ज़्यादा बारिश देखने को मिलती है।
उत्तर-पूर्वी मॉनसून होगा सक्रिय
उदाहरण के तौर पर चेन्नई को ले सकते हैं जहां नवंबर के शुरुआती 10 दिनों में मात्र 3 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई थी जबकि इस अवधि में चेन्नई में औसतन 374 मिमी बारिश होती है। इसी तरह पुद्दुचेरी में औसत 403 मिमी बारिश के मुक़ाबले महज़ 2 मिमी बारिश हुई है।
चक्रवाती तूफान ‘बुलबुल’ के आगे चले जाने के बाद अब उम्मीद बनी है कि दक्षिण भारत के भागों में उत्तर-पूर्वी मॉनसून सक्रिय होगा। तूफान ‘नाकरी’ जब दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों से आगे बढ़ते हुए जब तक बंगाल की खाड़ी में पहुंचेगा कमजोर होकर चक्रवाती क्षेत्र में तब्दील हो जाएगा। हालांकि कमजोर होने के बाद 13 नवंबर से दक्षिण भारत में उत्तर-पूर्वी मॉनसून को सक्रिय करने में अहम भूमिका निभाएगा।
इस सप्ताह के शुरुआती दिनों में बारिश मुख्यतः दक्षिणी आंतरिक कर्नाटक, आंतरिक तमिलनाडु और केरल पर सीमित रहेगी। लेकिन सप्ताह के मध्य से चेन्नई सहित तमिलनाडु के तटीय भागों पर भी बारिश बढ़ जाएगी।
पहाड़ों पर बारिश का नया दौर
हाल ही में उत्तर भारत में आए एक सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ के चलते जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के कई भागों में भारी बर्फबारी हुई थी। अब पर्वतीय राज्यों में मौसम साफ हो गया है लेकिन बर्फबारी के चलते तापमान में गिरावट हो रही है और सर्दी बढ़ती जा रही है। पहाड़ों पर बर्फबारी का असर मैदानी इलाकों में भी देखने को मिल रहा है। तापमान में गिरावट शुरू हो गई है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 10 नवंबर को तापमान गिरकर 15 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो इस सीज़न का पहला सबसे कम तापमान है।
अब एक नया पश्चिमी विक्षोभ 12 से 15 नवंबर के बीच पहाड़ों को प्रभावित करेगा। हालांकि यह बहुत प्रभावी नहीं है जिससे फिलहाल पर्वतीय राज्यों में इस दौरान हल्की से मध्यम बारिश की संभावना है।
चक्रवाती तूफान महा का असर भी ख़त्म नहीं हुआ है। इसकी एनर्जी चक्रवाती क्षेत्र के रूप में उत्तर-पूर्वी बंगाल की खाड़ी पर अभी भी है। उम्मीद है कि जब उत्तर-भारत में पहाड़ों पर पश्चिमी विक्षोभ आएगा, तब यह दोनों सिस्टम संयुक्त रूप से गुजरात और पश्चिमी राजस्थान को प्रभावित करेंगे। इस दौरान अच्छी बारिश दोनों राज्यों में कुछ स्थानों पर देखने को मिल सकती है। लेकिन 13 और 14 नवंबर को बारिश की तीव्रता सबसे अधिक हो सकती है।
चक्रवाती तूफान बुलबुल बांग्लादेश को पार करते हुए पूर्वोत्तर भारत की तरफ बढ़ेगा और कमजोर हो जाएगा। हालांकि पूर्वोत्तर राज्यों में अगले दो दिनों के दौरान हल्की से मध्यम बारिश देता रहेगा। पूर्वी भारत और मध्य भारत के बाकी हिस्सों में मौसम मुख्यतः शुष्क रहेगा। हालांकि इन भागों में तापमान में हल्की गिरावट होगी।
दिल्ली प्रदूषण
हमारा अनुमान है कि दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण 15 नवंबर तक चिंताजनक स्थिति में रहेगा। खासकर तब तक जब तक कि पश्चिमी विक्षोभ उत्तर के पहाड़ों पर बना रहेगा। जब यह सिस्टम आगे निकल जाएगा उसके बाद उत्तर-पश्चिमी ठंडी और शुष्क हवाएँ मैदानी इलाकों में आएंगी जिससे प्रदूषण में कमी आएगी।
फसलों पर मौसम का असर
चक्रवाती तूफान बुलबुल के चलते हाल ही में उत्तरी तटीय ओडिशा और पश्चिम बंगाल के गंगीय क्षेत्रों में काफी ज़्यादा बारिश हुई। इन दोनों राज्यों में खरीफ फसलों की कटाई और मड़ाई का काम जल्द ही शुरू होने वाला है। ओडिशा में कुछ स्थानों पर कटाई शुरू हो गई है और जैसे-जैसे मौसम साफ होगा धूप का प्रभाव बढ़ेगा, कटाई ज़ोर पकड़ेगी। पश्चिम बंगाल में भी कटाई-मड़ाई शुरू होनी है लेकिन तूफान बुलबुल ने जो बारिश दी है जिससे मिट्टी में नमी अधिक है। ज़ाहिर है कटाई के काम में देरी आ सकती है।
लेकिन अन्य भागों में खासकर गुजरात में तूफान महा के चलते जो बारिश देखने को मिली उससे मिट्टी में नमी बढ़ जाएगी, जो रबी फसलों की बुआई के लिए अच्छा है।
Image credit: Bloomberg
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