इस बीते सप्ताह भी मध्य भारत सबसे अधिक वर्षा वाला राज्य रहा। मध्य भारत में बारिश बढ़कर सामान्य से 24% ऊपर पहुँच गई है। मध्य भारत में सबसे अधिक बारिश मध्य प्रदेश में हो रही है। राज्य में हर सप्ताह बारिश अच्छी बारिश रही है। विशेष निशाने पर पश्चिमी इलाके हैं, जहां इस साल सामान्य से 55% अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई है।
स्काइमेट के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार 1 जून से 22 सितंबर के बीच कुल 882.9 मिमी बारिश हो चुकी है, जो सामान्य 844 मिमी से 5% अधिक है। साथ ही यह 1 जून से 30 सितंबर के बीच होने वाली कुल 887 मिमी बारिश के भी बिलकुल करीब पहुँच गई है। देश भर में सामान्य से अधिक बारिश भले हुई है लेकिन देश के कई इलाकों में अब तक बारिश के मामले में बहुत पीछे हैं। पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में सबसे कम बारिश हुई है। इसमें भी मणिपुर 60% कम वर्षा के साथ शीर्ष पर है।
मॉनसून की वापसी में विलंब
भारत में मॉनसून की वापसी आमतौर पर सितम्बर के दूसरे पखवाड़े से वापस लौटता है। लेकिन साल 2019 का मॉनसून हाल के वर्षों में सबसे लंबा मॉनसून होने वाला है। अनुमान है कि यह काफी विलंब से वापस लौटेगा। इसके लिए बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में बने मौसमी सिस्टमों को जिम्मेदार माना जा सकता है।
अरब सागर में बना डिप्रेशन गुजरात और कोंकण व गोवा में बारिश देने के बाद पश्चिमी दिशा में बढ़ रहा है और यह चक्रवाती तूफान बन गया है। यह ओमान की ओर जाएगा और भारत के तटों को प्रभावित नहीं करेगा। इसके बाद सप्ताह के शुरुआती दिनों में ही एक और मॉनसून सिस्टम विकसित होगा। इस बार बंगाल की खाड़ी में सिस्टम बनने की संभावना है।
संभावित सिस्टम की क्षमता निम्न दबाव की होगी और यह आंध्र प्रदेश से लेकर तेलंगाना, कर्नाटक और महाराष्ट्र तक के इलाकों में सप्ताह के शुरुआती तीन-चार दिनों के दौरान बारिश देगा। इस सप्ताह केरल में भी अच्छी बारिश होने की संभावना है। हालांकि इन जगहों पर जल्द ही बारिश बंद हो जाएगी और उसके बाद बारिश मध्य और पूर्वी भारत के बहगों में देखने को मिलेगी।
उत्तर भारत के भागों में मॉनसून कमजोर रहेगा। हालांकि देश के उत्तरी क्षेत्रों में कुछ स्थानों पर रुक-रुक बारिश होती रह सकती है। उत्तर में हरियाणा ऐसा राज्य है जहां सबसे कम बारिश हुई है। यहाँ इस सप्ताह बारिश में कमी और बढ़ सकती है। दिल्ली और एनसीआर में सुबह मौसम सुहावना होगा। शाम को भी मौसम ठीक-ठीका हो जाएगा क्योंकि पश्चिमी हवाएँ चलेंगी। हालांकि दोपहर में तेज़ धूप का असर मौसम को गर्म ही बनाए रखेगा। दिल्ली में बमुश्किल ही बारिश देखने को मिले।
दूसर ओर पूर्वी भारत में बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में बारिश में जो कमी है उसमें कुछ सुधार देखने को मिल सकता है। देश भर में भी बारिश के आंकड़ों में कुछ और इजाफ़ा हो सकता है क्योंकि मॉनसून देश के कई भागों पर सक्रिय बना रहेगा।
मुंबई में फिर आ सकते हैं बाढ़ वाले दिन
सितंबर के शुरुआत में ही मुंबई में इतनी बारिश हुई कि इसने 10 सालों में सितंबर में सबसे अधिक बारिश का रिकॉर्ड तोड़ दिया। पिछले सप्ताह सितंबर का दूसरा भारी बारिश का झोंका मुंबई में आया और इसने सितंबर में अब तक के सबसे अधिक बारिश के 1954 के रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया। सितंबर में 22 तारीख तक मुंबई में 1067.4 मिमी बारिश दर्ज की गई जो सितंबर महीने में कुल औसत बारिश 341.4 मिमी बारिश से तीन गुना से भी अधिक है।
इस सप्ताह एक और अच्छी बारिश का दौर मुंबई में आने वाला है। उम्मीद है कि सप्ताह दूसरे भाग में मुंबई में अच्छी बारिश हो सकती है। खासकर 24 से 26 सितंबर के बीच अच्छी वर्षा के आसार हैं।
इस मौसम का फसलों पर प्रभाव
गुजरात में इस समय मध्यम से भारी बारिश फसलों के लिए हानिप्रद हो सकती है। मूँगफली की फसल परिपक्व होने की अवस्था में पहुँच गई है। सामान्य से अधिक बारिश ने पहले ही फसल को नुकसान पहुंचाया है। इस समय बारिश कपास की फसल के लिए भी अच्छी नहीं होगी। कपास के रेशे जिस आवरण में होते हैं अब खुलने का समय आ गया है। अब अगर बारिश होती है तो इसकी गुणवत्ता काफी खराब हो जाएगी।
दूसरी ओर दक्षिण भारत में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में अच्छी बारिश फसलों के लिए फायदेमंद होगी। हालांकि अगर बारिश भारी होती है तो यह फसलों के लिए ठीक नहीं होगी। बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल में अचकी बारिश खरीफ फसल धान के लिए काफी लाभप्रद रहेगी।
Image credit: LiveMint
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मॉनसून 2019 पर स्काइमेट का विशेष विश्लेषण