[Hindi] तूफान फ़ानी: मृतकों की संख्या बढ़कर 16 हुई, हालात का जायज़ा लेने पीएम मोदी जा सकते हैं ओडिशा

May 5, 2019 1:06 PM | Skymet Weather Team

भीषण चक्रवाती तूफान फ़ानी भारत के पूर्वी तटों पर आने वाले तूफानों में वर्ष 1999 के बाद का सबसे ख़तरनाक चक्रवाती तूफान था। इसकी क्षमता को देखते हुए सरकार की सभी एजेंसियां मुस्तैद थीं और प्रभावित होने वाली जगहों से लगभग 12 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया था जिसके चलते इस बार जान और माल के बड़े नुकसान को टाला जा सका। इसके बावजूद तूफान फ़ानी के कारण हुई दुर्घटनाओं में 16 लोग मारे गए हैं।

सबसे ज़्यादा प्रभावित तटीय और उत्तरी ओड़ीशा के ज़िले हुए थे जिनमें मयूरभंज ज़िले में 4 लोग मारे गए। जबकि पुरी, भुवनेश्वर, जाजपुर में 3-3 और क्योंझारगढ़, नयागढ़ और केंद्रपाड़ा में 1-1 लोगों की मौत की खबर है। यही वो ज़िले भी हैं जहां तूफान फ़ानी ने भीषण तबाही मचाई है। जगह-जगह घर गिरे हुए हैं, कच्चे मकान और झोपड़े भी तबाह हो गए हैं। रेलवे स्टेशनों समेत कई स्थानों पर टीन शेड गायब है केवल ढाँचा बचा हुआ है।

मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार सरकार ने स्थिति को दुरुस्त करने के लिए व्यापक अभियान चलाने की तैयारी की है। तूफान के कारण ओड़ीशा में 10,000 गावों और 52 कस्बों में सबसे अधिक नुकसान का आंकलन है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं तूफान के बाद की स्थिति का जायज़ा लेने के लिए ओड़ीशा जा सकते हैं। प्रधानमंत्री ने ओड़ीशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से बात कर जन-जीवन को सामान्य करने में राज्य सरकार को हर संभव मदद मुहैया कराने का आश्वासन दिया है।

फ़ानी ने अत्यंत भीषण चक्रवाती तूफान की क्षमता में 3 मई को ओड़ीशा में पुरी के रास्ते दस्तक दी थी। जब तूफान ओड़ीशा पहुंचा था उस वक़्त 190 से 220 किलोमीटर प्रतिघण्टे की रफ्तार से हवा चल रही थी। ओड़ीशा से आए विडियो और तस्वीरों में देखकर ऐसा लग रहा था जैसे यह हवा सब कुछ उड़ा ले जाना चाह रही हो। 1999 के बाद फ़ानी चक्रवात सबसे ख़तरनाक बताया जा रहा है। इसके लैंडफाल के दौरान ओड़ीशा के तटीय भागों के साथ-साथ पश्चिम बंगाल के भी कुछ भागों में नुकसान पहुंचा था।

लेकिन अब चक्रवाती तूफान बेहद कमजोर हो गया है और निम्न दबाव के क्षेत्र के रूप में पूर्वोत्तर भारत के राज्यों पर है। ओड़ीशा में मौसम साफ होने से राहत, बचाव और पुनर्निर्माण कार्यों को तेज़ी से पूरा करने में मदद मिल रही है।

इतने भीषण तूफान के बावजूद जान और माल के नुकसान को व्यापक रूप में कम किए जाने की दुनिया भर में प्रशंसा हो रही है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी भारत की तारीफ की है।

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