भारत में वर्षा ऋतु तीनों प्रमुख ऋतुओं यानि ग्रीष्म, शीत और वर्षा ऋतु में सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि यही पूरे साल के मौसम की दिशा निर्धारित करती है।
वर्षा ऋतु यानि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून एक ऐसा मौसमी बदलाव, जो समूचे भारत को प्रभावित करता है। मॉनसून के आगमन से महीनों पहले से सरकार से लेकर, बाज़ार, किसान और आम आदमी तक सभी यह जानने को उत्सुक होते हैं कि मॉनसून कब आएगा और कैसा रहेगा इसका प्रदर्शन, क्योंकि मॉनसून भारत की विकास दर को भी प्रभावित करता है।
भारत में पूरे साल भर में होने वाली बारिश की कुल 70 फीसदी वर्षा जून से सितंबर के महीने मॉनसून में सीज़न में होती है। एक तरफ़ कमजोर मॉनसून की आशंका जहां लोगों को डराती है तो दूसरी ओर बेहतर मॉनसून की खबर सुनकर किसानों के चेहरे खिल उठते हैं। सरकार भी राहत की सांस लेती है।
मॉनसून से जुड़ी स्काइमेट की इस रिपोर्ट में हम आपको बताएँगे कि देश भर में मॉनसून के आगमन का सामान्य समय क्या होता है। यानि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून आमतौर पर किस राज्य में कब देता है दस्तक।
भारत में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून का आगाज़ आमतौर पर 1 जून को होता है, जब यह केरल के रास्ते भारत में चार महीनों के लंबे सफर पर निकलता है। आगमन के पहले चरण में मॉनसून कोची, त्रिवेन्द्रम और चेन्नई सहित तमिलनाडु में भी पहुंचता है। साथ ही पूर्वोत्तर राज्यों की सीमा को भी छूता है।
केरल में आगमन के बाद मॉनसून की शुरुआती प्रगति 5-5 दिन के अंतराल पर होती है। और मॉनसून एक्सप्रेस अगले पड़ाव पर 5 जून को पहुंचती है, जिसमें उत्तरी कर्नाटक, तेलंगाना के कुछ इलाके और आंध्र प्रदेश के लगभग सभी शहर शामिल हैं। इसी दौरान अगरतला, गुवाहाटी, शिलोंग, इम्फ़ाल और दिसपुर सहित समूचे पूर्वोत्तर भारत में भी मॉनसून वर्षा शुरू हो जाती है।
इसके बाद इंतज़ार होता है 10 जून का जब मुंबई और कोलकाता सहित महाराष्ट्र, ओड़ीशा और पश्चिम बंगाल के लगभग सभी भागों में मॉनसून अपने साथ बारिश के रूप में राहत लेकर आता है। 10 जून को छत्तीसगढ़, झारखंड और बिहार के भी कुछ इलाकों में मॉनसून बौछारों की झलक मिलने लगती है।
चार महीनों के अपने सफर में मॉनसून का अगला ठिकाना होते हैं गुजरात, मध्य प्रदेश, बिहार और झारखंड के लगभग सभी इलाके और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्से। जहां यह 15 जून तक पहुंचता है और रांची, पटना, वाराणसी, प्रयागराज, भोपाल, इंदौर, सूरत तथा अहमदाबाद सहित आसपास के शहरों में मॉनसून वर्षा शुरू हो जाती है। यानि 15 जून तक मॉनसून सामान्यतः देश के आधे से अधिक हिस्सों में पहुँच जाता है।
इसके बाद अगले चरण से पहले मॉनसून लगभग 15 दिनों के लिए ठहर सा जाता है। और 15 जून के बाद 1 जुलाई को दक्षिण-पश्चिम मॉनसून समूचे उत्तर प्रदेश को पार करते हुए राजधानी दिल्ली, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर के सभी भागों में एक साथ दस्तक देता है।
इस लंबी छलांग में राजस्थान और पंजाब का भी आधा हिस्सा मॉनसून के दायरे में आ जाता है। और लखनऊ, जयपुर, देहरादून, शिमला, श्रीनगर और अमृतसर सहित उत्तर भारत के कई शहरों में मॉनसूनी फुहारें शुरू हो जाती हैं। इसके बाद बाकी बचे भागों में पहुँचने में फिर से मॉनसून 15 दिनों का वक़्त लेता है और 15 जुलाई को पंजाब-हरियाणा के सभी हिस्सों और राजस्थान सहित देश के सभी भागों में मॉनसून का आगाज़ हो जाता है।
यानि भारत के दक्षिणी छोर पर केरल में, 1 जून को आने के बाद पश्चिमी राजस्थान तक पहुँचने में मॉनसून तकरीबन डेढ़ महीने का समय लेता है।
आखिर में आपको बता दें कि 2019 के लिए स्काइमेट ने 93 फीसदी यानि कमजोर मॉनसून का अनुमान लगाया है।
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Image credit: The Indian Express
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