दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की वापसी में इस वर्ष काफी देरी हुई है। दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की वापसी आधिकारिक तौर पर 30 सितंबर तक हो जाती है। हालांकि दक्षिण-पश्चिमी हवाओं के प्रभाव से बारिश की गतिविधियां 30 सितंबर के बाद भी कई इलाकों में रुक-रुक कर होती रहती हैं।
दक्षिण-पश्चिम मॉनसून देश के अधिकांश हिस्सों से वापस लौट चुका है। हालांकि मॉनसून वापसी की रेखा अरब सागर के दक्षिणी हिस्सों से दक्षिण भारत और बंगाल की खाड़ी में अभी भी बनी हुई है। स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार अगले 24 घंटों में बाकी हिस्सों से भी दक्षिण-पश्चिम मॉनसून वापस हो जाएगा।
दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की वापसी में इतनी देरी इससे पहले 2010 में हुई थी। वर्ष 2010 में अक्टूबर के दूसरे सप्ताह तक दिल्ली-एनसीआर सहित उत्तर-पश्चिम भारत के कई भागों में बारिश जारी थी जिसके चलते दिल्ली में होने वाले कॉमनवेल्थ खेलों से पहले की तैयारियां व्यापक रूप में प्रभावित हुई थीं।
स्काइमेट के अनुसार दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के वापस लौटने में इस देरी का कारण हैं बंगाल की खाड़ी से एक के बाद उठने वाले मौसमी सिस्टम। इन सिस्टमों के प्रभाव से दक्षिण-पूर्वी हवाएँ अब तक बनी हुई हैं जिससे मॉनसून वापसी की घोषणा नहीं की जा सकी है। मॉनसून की वापसी में देरी के बावजूद उत्तर भारत के अधिकांश हिस्सों में लंबे समय से बारिश गायब है।
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मॉनसून वापसी की घोषणा मुख्यतः तीन स्थितियों पर निर्भर करती है, जिसमें मोटे तौर पर लंबे समय तक शुष्क मौसम, पूर्वी हवा का बदलकर उत्तर-पश्चिमी हवाओं का चलना और वातावरण में नमी में व्यापक कमी शामिल हैं। इस समय देश के अधिकांश हिस्सों में कोई मौसमी सिस्टम नहीं है जिसके चलते उत्तर भारत से लेकर मध्य और पूर्वी राज्यों तक उत्तर-पश्चिमी शुष्क हवाएँ चलना शुरू हो गई हैं और आर्द्रता कम हो गई है।
दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की वापसी में एक तरफ देरी हो रही है और दूसरी दक्षिण भारत में उत्तर-पूर्वी मॉनसून अब तक नहीं आया है। गौरतलब है कि दक्षिण भारत के राज्यों आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल में बारिश मुख्यतः उत्तर-पूर्वी मॉनसून से होती है। अनुमान है कि अगले 24 घंटों में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून वापस हो जाएगा और उत्तर-पूर्वी मॉनसून दस्तक देगा।
Image credit: Bloomberg
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