स्वच्छ भारत एक अभियान है देश को साफ-सुथरा और सुंदर बनाने का तथा बीमारी से मुक्त करने का। देश के स्वच्छ शहरों की सूची जारी की गई है जिसमें मैसूर को देश का सबसे स्वच्छ शहर होने का खिताब मिला है। कर्नाटक की सांस्कृतिक गतिविधियों की राजधानी मैसूर लगातार दूसरी बार विजेता बना है।
वर्ष 2016 के स्वच्छता सर्वेक्षण का मकसद यह पता लगाना था कि महत्वाकांक्षी स्वच्छ भारत अभियान को लोग गंभीरता से ले रहे हैं या नहीं और देश इस मिशन के तहत स्वच्छ हो भी रहा है या नहीं। स्वच्छ भारत के शहरों की सूची में मैसूर के बाद चंडीगढ़ दूसरे स्थान पर रहा। तिरुचिरापल्ली तीसरे और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली चौथे सबसे स्वच्छ शहरों की सूची में जगह बना पाये।
केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू द्वारा जारी की गई इस सूची में अन्य शहरों की बात करें तो विशाखापत्तनम पांचवे, सूरत छठें और राजकोट सातवें स्थान पर रहे। सिक्किम की राजधानी गंगटोक को सफाई के मामले में 8वां स्थान प्राप्त हुआ। महाराष्ट्र के पिंपरी छिंदवाड़ा को 9वां और मुंबई को 10 वां स्थान मिला।
सर्वेक्षण के मुताबिक झारखंड का धनबाद शहर सबसे गंदा शहर है। इस सूची में धनबाद को 73वां स्थान प्राप्त हुआ। अन्य सबसे गंदे 10 शहरों में पटना, असनसोल, गाज़ियाबाद, मेरठ और छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर जैसे शहर शामिल हैं। दुर्भाग्य से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी भी अंतिम 10 शहरों में ही शुमार है।
प्रधानमंत्री मोदी ने वर्ष 2014 में दिल्ली में स्वयं अपने हाथों से सफाई करके स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की थी। बीते वर्ष हुए सर्वेक्षण में भी मैसूर भारत के 476 स्वच्छ शहरों में सबसे प्रथम आया था। इस बार का सर्वेक्षण 10 लाख की आबादी वाले शहरों तक ही सीमित किया गया था। इसमें 22 राज्यों की राजधानी भी शामिल थी।
स्वच्छ भारत मिशन का उद्देश्य स्वच्छता को सीधे तौर पर स्वास्थ्य से जोड़कर जागरूकता फैलाना है। वर्तमान सर्वेक्षण सिर्फ स्वच्छ शहरों का ही प्रतिबिंब नहीं प्रस्तुत करता बल्कि स्वच्छता के लिए संघर्ष कर रहे शहरों के बारे में भी सवाल खड़े करता है।
Image Credit: The Hindu