दक्षिण-पश्चिम मानसून ने 30 मई को भारत के प्रवेश बिंदु केरल में दस्तक दी थी। मानसून पहुंचने के लगभग 48-72 घंटों तक केरल में अच्छी बारिश हुई थी। लेकिन, बाद में मानसून की बारिश कम हो गई। केरल में जून के पहले सप्ताह में बारिश की कमी 25% से अधिक हो गई है। एक या दो को छोड़कर लगभग सभी जिलों में कम बारिश दर्ज की गई है, इसमें केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम (82%) भी शामिल है।
मानसून कमजोर होने के कारण: दक्षिण पश्चिम मानसून के दौरान केरल सबसे अधिक वर्षा वाले राज्यों में से एक है। जून महीने में औसतन 648.3 मिमी होती है, जो सीज़न की लगभग 1/3 वर्षा का हिस्सा होता है। यह महीना जुलाई के बराबर है। दोनों महीने मिलकर मौसमी वर्षा का दो-तिहाई योगदान रहता है। बता दें, जून में बढ़ी बारिश की कमी को बाद की तारीखों में पूरा करना मुश्किल हो जाता है। हालाँकि, ये अभी शुरुआती दिन हैं लेकिन मानसून की सुस्त शुरुआत के लिए कुछ कारण हैं। जैसे,
- बंगाल की खाड़ी में मानसून प्रणाली का अभाव: मानसून की शुरुआत के बाद बंगाल की खाड़ी में कोई मानसूनी प्रणाली नहीं बनी है। वर्तमान में मार्तबान की खाड़ी और उत्तर-पूर्व बंगाल की खाड़ी में एक चक्रवाती परिसंचरण बना हुआ है, लेकिन इससे कोई निम्न दबाव क्षेत्र बनने की संभावना नहीं है। यह प्रणाली भारतीय तट से दूर रहेगी और पश्चिमी तट पर मानसूनी गतिविधियों को मजबूत नहीं करेगी। इस प्रणाली के कारण अगले सप्ताह उत्तर-पूर्व भारत में बारिश हो सकती है। केरल में मानसून की सक्रियता को बढ़ाने के लिए जल्द से जल्द निम्न दबाव या अवसाद का बनना जरूरी है।
- कमजोर क्रॉस भूमध्य रेखीय प्रवाह: उष्णकटिबंधीय हिंद महासागर और दक्षिण अरब सागर पर क्रॉस भूमध्य रेखीय प्रवाह कमजोर बना हुआ है। जिस कारण केरल-कर्नाटक तटरेखा के साथ मानसून की पश्चिमी धारा इतनी मजबूत नहीं है कि इस क्षेत्र में समान रूप से मानसूनी बारिश को तेज कर सके।
- निचले स्तर की पश्चिमी जेट' का अभाव: कमजोर क्रॉस इक्वेटोरियल प्रवाह के कारण श्रीलंका, मालदीव और दक्षिणपूर्व अरब सागर के पास से 'निम्न स्तर के पश्चिमी जेट' गायब है। केरल के पूरे तट और अंदरूनी इलाकों में तेज बारिश के लिए जेट की ताकत निर्णायक कारक है।
- अरब सागर में अपतटीय भंवर का अभाव: लक्षद्वीप द्वीप समूह और दक्षिण-पूर्व अरब सागर के निकट अरब सागर में कोई अपतटीय भंवर नहीं बना है। केरल के तट के पास उत्तर की ओर बढ़ते हुए एक छोटे पैमाने का भंवर भी अच्छी बारिश ला सकता है। हालांकि, ऐसे घटनाएँ बहुत बार नहीं होती हैं, लेकिन कम बर्षा बाले क्षेत्रों मे बारिश की कमी को पूरा किया जा सकता है।
पिछले साल रही बारिश की भारी कमी: पिछले साल 2023 में केरल में जून की महीने में लगभग 60% वर्षा की कमी दर्ज की गई थी। इसके बाद अगस्त में वर्षा और भी कम हो गई और 87% बारिश की भारी कमी के साथ राज्य सूखे के करीब पहुंच गया। हालांकि, सितंबर में 53% से अधिक बारिश हुई, जिससे बारिश की कमी में कुछ सुधार हुआ। लेकिन इसके बावजूद मानसून का सीजन 34% बारिश की भारी कमी के साथ समाप्त हुआ।
कमजोर मानसून के संकेत: अगले सप्ताह के दौरान केरल और आसपास के क्षेत्रों में मानसून की रफ्तार कमजोर रहने की संभावना है। बंगाल की खाड़ी के ऊपर किसी भी मजबूत मौसम प्रणाली के उभरने की संभावना नहीं है। वहीं, अरब सागर में भी अनुकूल स्थिति नहीं बन पाएगी। जिससे केरल में बारिश की कमी और बढ़ सकती है।