भारत भर के लाखों किसानों के लिए जीवन रेखा माने जाने वाले मानसून के देश के कुछ हिस्सों में देरी से आने के संकेत मिल रहे हैं। मानसून की पूर्वी शाखा समय ने पहले ने सिक्किम पहुंचकर पूर्वोत्तर राज्यों को कवर करते हुए महत्वपूर्ण प्रगति की थी। जबकि मानसून की पश्चिमी शाखा को बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है।
गुजरात में आमतौर पर 15 जून तक दक्षिणी जिलों में मानसून की बारिश शुरू हो जाती है। इस साल यहां मानसून की शुरुआत में थोड़ी देर होती दिखाई दे रही है। हालांकि, मानसून ने गुजरात के दक्षिणी सिरे को कुछ समय के लिए छुआ, लेकिन इसकी आगे की प्रगति धीमी लग रही है। अगले सप्ताह गुजरात में मानसून की गतिविधि में कोई खास बढ़त होने की उम्मीद नहीं है। जबकि, दक्षिणी जिलों में छिटपुट हल्की बारिश हो सकती है, लेकिन सामान्य मानसून की बारिश होने की संभावना अगले एक सप्ताह तक दिखाई नहीं दे रही है। यहां झमाझम बारिश की संभावना नहीं है।
मानसून की देरी भी मध्य प्रदेश के पश्चिमी जिलों में भी देखी जा रही है।मध्य प्रदेश एक महत्वपूर्ण कृषि राज्य है। यहां भी मानसून का आगमन निर्धारित समय से पीछे है। आमतौर पर, दक्षिणी मध्य प्रदेश में 15 जून तक मानसून की बारिश शुरू हो जाती है और 20 जून तक राज्य के आधे से अधिक हिस्से में बारिश हो जाती है।
हालांकि, मौजूदा समय में मानसून निष्क्रिय अवस्था में है, जिससे किसानों को बेचैनी का सामना करना पड़ रहा है। इसके विपरीत मानसून की पूर्वी शाखा 31 मई को सिक्किम पहुँची और पूर्वोत्तर राज्यों को कवर किया। हालाँकि, तब से ही मानसून की प्रगति रुकी हुई प्रतीत होती है। कम से कम अगले 2-3 दिनों तक देश के पूर्वी हिस्सों में कोई खास मौसमी हलचल होने की उम्मीद नहीं है।
लेकिन, 19 जून के आसपास राहत मिल सकती है। जब मानसून के बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और ओडिशा की ओर बढ़ने की उम्मीद है। 21 या 22 जून तक मानसून के छत्तीसगढ़ के अधिकांश हिस्सों, पूर्वी मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों को कवर करने का अनुमान है।
मानसून की यह असमान प्रगति एक ऐसी तस्वीर पेश करती है, जहाँ पूर्वी भारत के अधिकांश हिस्से और मध्य भारत के कुछ हिस्सों में समय पर बारिश हो सकती है। मानसून की पश्चिमी शाखा के आगे नहीं बढ़ने पर विशेष रूप से गुजरात पर दोहरी मार पड़ रही है। सबसे पहले, 14 जून तक पूरे भारत में मानसून की कमी 12% है। स्थिर होने से पहले अगले दो दिनों में बारिश की यह कमी और बढ़ने का अनुमान है।
दूसरा, मानसून की सुस्त चाल गुजरात के लिए एक चुनौती है। जो कृषि के लिए इन मौसमी बारिशों पर बहुत अधिक निर्भर करता है। मानसून के देरी से आने से कई चिंताएँ पैदा हो सकती हैं, जिसमें फसलों की बुवाई में देरी, मौसम के अंत में पानी की कमी और कृषि आय पर असर शामिल है।
जैसे-जैसे हम आगे बढ़ रहे हैं, मौसम के अपडेट पर बारीकी से नज़र बनाए हुए है। अभी उम्मीद करना ज़रूरी है कि मानसून अपनी रफ़्तार पकड़ेगा, जिससे बारिश का इंतज़ार कर रहे किसानों को बहुत ज़रूरी राहत मिलेगी।