भारत में मुख्यतः तीन ऋतुएं होती हैं, इसीलिए भारत की जलवायु को दुनिया के तमाम देशों से अलग माना जाता है। लोगों के लिए ग्रीष्म और शीत ऋतु भी आमतौर पर मायने रखी है, लेकिन वर्षा ऋतु आम जनता के साथ-साथ सरकार, उद्योग जगत, किसान और अनेक पक्षों के लिए बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है। भारत में पूरे साल भर में औसतन 1190 मिलीमीटर के आसपास वर्षा रिकॉर्ड की जाती है जिसमें लगभग 880 मिलीमीटर बारिश 1 जून से 30 सितंबर के बीच 4 महीनों के मॉनसून सीज़न में देखने को मिलती है।
भारत में पूरे साल में होने वाली औसत 1190 मिलीमीटर वर्षा में उतार-चढ़ाव भी देखने को मिलता है। सबसे ज़्यादा अंतर मॉनसून के प्रदर्शन के कारण आता है। कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां बारिश बहुत अधिक होती है, तो कुछ इलाके ऐसे भी हैं जहां पूरे साल भर में काफी कम वर्षा देखने को मिलती है। अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में उल्लेख कर सकते हैं पश्चिमी घाट और पूर्वोत्तर भारत का। पश्चिमी घाट पर केरल से लेकर तटीय कर्नाटक और कोंकण-गोवा के इलाकों और पूर्वोत्तर भारत में खासतौर पर मेघालय के पहाड़ी क्षेत्रों और हिमालयी क्षेत्रों में पूरे साल में औसतन 2500 मिलीमीटर वर्षा रिकॉर्ड की जाती है। वहीं कम वर्षा वाले क्षेत्रों में आते हैं पश्चिमी राजस्थान और लद्दाख, जहां साल भर में 400 मिमी से भी कम वर्षा होती है।
साल 2020 में मॉनसून का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा था और सामान्य से 10% अधिक लगभग 960 मिलीमीटर वर्षा रिकॉर्ड की गई थी। जबकि मॉनसून की विदाई के बाद से बारिश की गतिविधियों में काफी कमी आ गई थी। अक्टूबर में बहुत कम वर्षा के कारण देश के तमाम क्षेत्रों में आंकड़ा औसत से नीचे चला गया था। अक्टूबर के आखिर तक उत्तर भारत में लगभग 100% की कमी बनी रही थी। साथ ही दक्षिण भारत में उत्तर-पूर्वी मॉनसून के देर से आने के कारण तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल में बारिश में कमी रही।
उत्तर भारत से जब मॉनसून विदा हो जाता है तब सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ, पश्चिमी हिमालयी राज्यों की तरफ आने लगते हैं और बारिश और बर्फबारी में वृद्धि होने लगती है। लेकिन नवंबर के पहले पखवाड़े तक सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ नहीं आए जिसके कारण जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख, उत्तराखंड समेत उत्तर भारत के पहाड़ी और मैदानी इलाकों में बारिश में कमी बनी रही।
नवंबर के आखिरी समय में पूरे देश भर में मौसम के हालात बदले और दक्षिण भारत के राज्यों पर जहां उत्तर-पूर्वी मॉनसून सक्रिय हुआ वहीं उत्तर भारत में पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय रूप से अपनी भूमिका निभाने लगे।
मॉनसून के बाद से अब तक देश में हुई बारिश
1 अक्टूबर से 12 दिसम्बर के बीच उत्तर भारत के राज्यों में लगभग 29.8 मिमी वर्षा हुई है जो सामान्य से 24% कम है। दक्षिण भारत के भागों में अब बारिश सामान्य से 18% ऊपर पहुँच गई है। इन भागों में कुल 309 मिमी वर्षा हो चुकी है। मध्य भारत में सामान्य से 13% अधिक 83 मिमी बारिश हुई है। जबकि पूर्वी और पूर्वोत्तर राज्यों में सामान्य से 11% कम 140 मिमी वर्षा रिकॉर्ड की गई है।
पोस्ट मॉनसून सीजन में 1 अक्टूबर से 31 दिसम्बर के बीच सबसे ज़्यादा बारिश दक्षिणी राज्यों में होती है। दूसरे स्थान पर हैं पूर्वी और पूर्वोत्तर राज्य हैं। उसके बाद मध्य भारत और आखिर में आते हैं उत्तरी राज्य। यह तथ्य आंकड़ों से और अधिक स्पष्ट हो जाएगा। 1 अक्टूबर से 12 दिसम्बर के बीच दक्षिण भारत में औसतन 262.4 मिमी, पूर्वी और पूर्वोत्तर राज्यों में 158.2 मिमी, मध्य भारत में 73 मिमी और उत्तर भारत में 39.4 मिमी वर्षा रिकॉर्ड की जाती है।
Image Credit: Times of India
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