बेंगलुरु में रविवार को भारी बारिश हुई, जिससे भारी तबाही हुई और सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ। तेज़ हवाओं और बिजली गिरने के साथ-साथ गरज के साथ बारिश भी हुई। बड़ी संख्या में पेड़ उखड़ गए, जिससे ट्रांसमिशन लाइनें टूट गईं। वहीं, बिजली कटौती से कुछ इलाके लंबे समय तक प्रभावित रहे। सड़कों पर पानी भर जाने और मुख्य सड़कें जाम हो जाने से यात्रियों को परेशानी हुई। हालांकि, रविवार को दिन होने के कारण बेंगलुरु में यातायत चरम पर नहीं था, इसीलिए बड़े व्यवधानों से थोड़ी राहत रही।
वेधशालओं ने रिकॉर्ड की बारिश: बेंगलुरु शहर के सभी भागों में एक समान बारिश नहीं हई। शहर की वेधशाला ने 111 मिमी बारिश दर्ज की, वहीं अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर केवल 21.6 मिमी वर्षा मापी गई। बेंगलुरु के उपनगर येलहंका में जीकेवीके परिसर में 44.2 मिमी मध्यम बारिश हुई। बारिश का वितरण प्री-मानसून के हिसाब से ज्यादा और मानसून पैटर्न के लिए कम था। साथ ही एचएएल वेधशाला ने बेंगलुरु में बिल्कुल भी वर्षा दर्ज नहीं की।
टूटा 133 साल पुराना रिकॉर्ड: बेंगलुरु शहर में शायद ही कभी मानसून में भारी वर्षा दर्ज की गई हो गई हो। लेकिन, 30 मई को केरल में मानसून की शुरुआत के साथ, बारिश का प्रवाह अगले 2-3 दिनों में टेक सिटी बेंगलुरु में पहुंच जाता है और कभी-कभी बारिश दोनों जगह केरल और बेंगलुरु में एक साथ शुरू होती है। बता दें, बेंगलुरु में जून महिने में सामान्य बारिश 110.3 मिमी होती है। लेकिन, शहर में रविवार को आई भारी बारिश ने न केवल 24 घंटे में मासिक कोटा पार कर लिया है, बल्कि जून में सबसे ज्यादा बारिश वाले दिन का 133 साल पुराना रिकॉर्ड भी तोड़ दिया है। इससे पहले 16 जून 1891 को 101.6 मिमी की तीन अंकों की वर्षा दर्ज की गई थी। इस साल बेंगलुरु में जून के पहले 3 दिनों में ही 141 मिमी वर्षा दर्ज की गई है।
आगे ऐसा रहेगा मौसम: दक्षिण आंतरिक कर्नाटक और बेंगलुरु सहित पूरे दक्षिण प्रायद्वीप पर हवा का पैटर्न अनियमित है। आंतरिक भागों में अधिकतर हल्की परिवर्तनशील हवाएं चक्रवाती परिसंचरण के साथ चिन्हित हैं। अगले 24 इसके व्यवस्थित होने की संभावना है। अरब सागर, बंगाल की खाड़ी के ऊपर और समुद्र के दोनों किनारों पर चक्रवाती परिसंचरण हैं, जो दक्षिण प्रायद्वीप के आंतरिक भागों के साथ संरेखित हैं। यह स्थिति अगले 3-4 दिनों के दौरान शहर में और बारिश के लिए काफी अनुकूल है। 6 जून के बाद मौसम शुष्क हो सकता है, जो अगले सप्ताह तक भी ऐसा ही रह सकता है।