ग्लोबल वार्मिग और क्लाइमेट चेंज का असर अब पूरे विश्व पर दिखाई देने लगा है। इसका एक बहुत बड़ा उदाहरण अटलांटिक मेरिडियनल ओवरटर्निंग सर्कुलेशन (AMOC) का इकोसिस्टम है। महासागरों में अलग-अलग जल धाराएं प्रवाहित होती हैं। कुछ ठंडी और कुछ गर्म होती हैं। वहीं, कुछ महासागर की सतह पर चलती हैं और कुछ गहने समुद्र में चलती है। अटलांटिक मेरिडियनल ओवरटर्निंग सर्कुलेशन (AMOC) भी इसी का एक उदाहरण है।
AMOC क्या है: पहले हम यह जानने की कोशिश करते हैं कि अटलांटिक मेरिडियनल ओवरटर्निंग सर्कुलेशन (AMOC) क्या होता है। यह एक प्रमुख महासागरीय धारा प्रणाली है जो उष्णकटिबंधीय क्षेत्र से उत्तरी अटलांटिक की ओर गर्म सतही जल को और दक्षिण की ओर ठंडे गहरे जल को ले जाती है, यह थर्मोक्लिन का एक हिस्सा है। यह एक तरीका है जिसके द्वारा महासागर गर्मी, नमक, कार्बन और पोषक तत्वों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाते हैं।
पश्चिमी यूरोप पर जलवायु प्रभाव: अटलांटिक महासागर का गर्म पानी जब उत्तर दिशा में आगे बढ़ता है तो वह ठंडा होने लगता है। यह ठंडा पानी भारी होने के कारण समुद्र में नीचे की तरफ जाता है और यह धीरे-धीरे दक्षिण दिशा में आगे बढ़ता है। दक्षिण दिशा में पहुंचकर यह फिर समुद्री की सतह के ऊपर आता है और फिर गर्म हो जाता है। इस तरह एक सर्कुलेशन पूरा होता है। इसी को हम थर्मोक्लिन (thermocline) कह सकते हैं। इसके द्वारा पूरी पृथ्वी के ऊपर ऊर्जा का वितरण होता है। इसकी वजह से पश्चिमी यूरोप में सर्दियों के दौरान भी बहुत अधिक ठंड नहीं होती है। अगर यह सर्कुलेशन ना होता तो वहां असहनीय ठंड देखी जाती।
सूखा और बाढ़ का बढ़ता खतरा: IPCC की रिपोर्ट के अनुसार 2037 से 2064 के बीच यह सर्कुलेशन बहुत कमजोर हो सकता है। लेकिन, 2050 के आसपास का वक्त सबसे ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है। यह एक तरह का इकोसिस्टम है इसके कमजोर पड़ने से कई देश में भीषण गर्मी या भीषण सर्दी का खतरा बढ़ जाएगा और कुछ इलाकों में सूखा या बाढ़ का खतरा भी बन सकता है।
हिंद महासागर का बढ़ता तापमान: अब इस संदर्भ में हिंद महासागर का क्या महत्व है यह भी देख लेते हैं। हिंद महासागर तेजी से गर्म हो रहा है और यहां बारिश भी ज्यादा हो रही है। हिंद महासागर गर्म होने के कारण वह विश्व के बाकी हिस्सों से हवा को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। जिसमें अटलांटिक भी शामिल है क्योंकि हिंद महासागर में भी बारिश होने लगी है। लेकिन, अब अटलांटिक महासागर में बारिश धीरे-धीरे कम हो जाएगी। यह सर्कुलेशन पूरे विश्व के मौसम में एक समन्वय बनाए रखना है। गर्म पानी को उत्तर दिशा में भेज कर उत्तरी अक्षांशों को गर्म करता है और उष्णकटिबंधीय इलाकों को ठंडा करने में मदद करता है।
अमेजॉन के वर्षा वनों पर प्रभाव: सर्कुलेश के कमजोर पड़ जाने से अमेजॉन के वर्षा वनों के मौसम पर विपरीत प्रभाव देखने को मिलेगा। समुद्र में गर्मी बढ़ने के कारण दक्षिणी गोलार्ध में अंटार्कटिका की बर्फ तेजी से पिघलने लगेगी। जिससे समुद्री का जल स्तर बढ़ने लगेगा। जो मानसून के प्रभाव को कमजोर करेगा जिससे दक्षिण एशिया और अफ्रीका में परिणाम देखने को मिलेंगे। कृषि के साथ-साथ जल स्रोतों पर और मौसम के ऊपर भी विपरीत असर दिखाई देगा। उत्तरी यूरोप में तूफान और तेज हो जाएंगे।दक्षिण एशिया का मानसून कमजोर पड़ने लगेगा।
सर्कुलेशन कमजोर होने के कारण: बता दें, इस सर्कुलेशन को कमजोर करने में मानव द्वारा की जाने वाली गतिविधियों का सबसे बड़ा योगदान है। सर्कुलेशन को कमजोर होने से बचाने के लिए हमें ग्रीन हाउस गैसें का उत्सर्जन कम करना पड़ेगा। साथ ही अलग-अलग उपाय खोजने होंगे, जिससे यह सर्कुलेशन मजबूत बना रहे।
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