रिकॉर्ड रखने का दौर शुरू होने के बाद से वर्ष 2023 को सबसे गर्म साल घोषित किया गया है। 2023 में पृथ्वी की औसत भूमि और महासागर की सतह का तापमान 2.12°F (1.18°C) 20वीं सदी से ऊपर था। साल 2023 ने पिछले सबसे गर्म वर्ष 2016 को 0.15°C से पीछे छोड़ दिया है। तापमान में बढ़ोत्तरी पूर्व औद्योगिक युग के औसत से 1.35 डिग्री सेल्सियस अधिक हो गई है। पिछले आठ महीनों में लगातार वैश्विक गर्मी रिकॉर्ड से ज्यादा रही है। दिसंबर 2023 रिकॉर्ड पर सबसे गर्म दिसंबर था। वैश्विक सतह का तापमान 20वीं सदी के औसत से 1.43 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था।
2024 की शुरूआत भी गर्मी के साथ: 1950 के बाद से दस सबसे गर्म साल, सभी पिछले दशक में घटित हुए हैं। साल 2024 की शुरुआत भी गर्मी के साथ हुई है। जनवरी 2024 रिकॉर्ड पर सबसे गर्म जनवरी रही है। 2020 और 2022 के बीच ट्रिपल डिप ला नीना था, इसके बावजूद यह ट्रिपलेट दस सबसे गर्म सालों की लिस्ट में भी शामिल है। जिसका मतलब है, मानव प्रेरित जलवायु परिवर्तन ने ला नीना के कारण प्रशांत महासागर की ठंडक को बेअसर कर दिया। ऐसा हो सकता है कि दुनिया भर के अन्य महासागर सामान्य से अधिक गर्म हों। बता दें, पृथ्वी पर 90% अतिरिक्त गर्मी महासागरों से आती है। ऊपरी 2000 मीटर ऊपर संग्रहित महा सागरीय ताप सामग्री 2023 में रिकॉर्ड पर सबसे ज्यादा थी। आर्कटिक में बर्फ सबसे कम थी, जो ध्रुवीय क्षेत्र में पर्याप्त ठंड न होने का कारण बनी।
ओजोन छिद्र का बड़ा होना गर्मी का कारण: पृथ्वी की उष्णकटिबंधीय सतह और क्षोभमंडल( वायुमंडल की सबसे निचली परत) को ग्रह(पृथ्वी) की आने वाली सौर ऊर्जा का एक बड़ा हिस्सा मिलता है। सबसे ज्यादा गर्मी(तपन) वायुमंडल की बीच की परतों में होती है। ओजोन परत( जो पृथ्वी की सतह से 15 से 30 किमी ऊपर समताप मंडल में स्थित है) समताप मंडल के गर्म होने में प्रमुख भूमिका निभाती है। लाखों वर्ग किलोमीटर के आयाम वाला ओजोन छिद्र, जो दक्षिणी गोलार्ध(अंटार्कटिक क्षेत्र) में अधिक प्रमुखता से देखा जाता है, सीधे समताप मंडल के तापमान से जुड़ा हुआ है। बता दें, ओजोन परत हमें और अन्य जीवित चीजों को सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी विकिरण से बचाती है। ओजोन परत की कमी से मानव स्वास्थ्य, पर्यावरण और वार्मिंग पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। 2023 का ओजोन छिद्र (hole) 2022 की तुलना में बड़ा था।
साल 2024 गर्म होने की संभावना: दक्षिण-पश्चिम मानसून के आने की संभावना के साथ-साथ अल नीनो की भी स्थिति बन सकती है। इससे प्रशांत महासागर की ताप क्षमता और पूरे तामपान में बढ़ोत्तरी होगी। 2024 के रिकॉर्ड पर सबसे गर्म साल होने की संभावना है। हालांकि, यह 2023 के समान भी चल सकता है और इससे आगे निकल कर ज्यादा गर्म भी हो सकता है।
फोटो क्रेडिट: नवभारत टाइम्स