दुनिया भर में मशहूर भारत के रसीले आम का मज़ा इस बार कई देशों के लोगों के लिए महंगा साबित होगा, क्योंकि भारत में बे-मौसम बरसात और ओलावृष्टि से अधिकांश भागों में फलों के राजा आम को भी बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा है। एक ओर जहां देश के उत्तरी और तटीय भागों से आम की आपूर्ति अधर में है वहीं वैश्विक बाज़ार में बेतहासा कीमतें भारतीय आम के निर्यात को झटका लगा सकती हैं।
उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में खराब मौसम के चलते लगभग 50 प्र
तिशत आम के नुकसान की खबरें हैं। विदेशों में निर्यात की जाने वाली आम की प्रमुख किस्में अल्फान्सो, मालदा, केसर, लंगड़ा और चौसा पर फरवरी और मार्च के दौरान हुई बारिश के कारण बेहद बुरा असर पड़ा है।
आम निर्यात में सबसे आगे होने की क्षमता के बावजूद भारत इसके लिए हमेशा से संघर्ष करता रहा है। आम निर्यात से जुड़े लोगों की मानें तो इस बार खराब गुणवत्ता के चलते इसका निर्यात 30 प्रतिशत तक घट सकता है। इससे एक बार फिर से वैश्विक बाज़ार में आम के निर्यात में नंबर 1 बनने के भारत के प्रयास को झटका लग सकता है।
अलफनसो की कीमत
आम का राजा अल्फान्सो इस बार काफी महंगा है। वर्तमान में 1 दर्जन अल्फान्सो की कीमत 500 से 1000 रूपये के बीच चल रही है। अगर आगे भी बारिश के साथ मौसम आर्द्र होता है तो इसका उत्पादन प्रभावित होगा जिससे कीमतें 30% तक और ऊपर जा सकती हैं। आपूर्ति में कमी के चलते आम की कीमतें आसमान पर केवल देश के ही बाज़ारों में ही नहीं हैं बल्कि इससे निर्यात की गुणवत्ता वाले आम की कीमतें भी प्रभावित हुई हैं। मुंबई और अन्य थोक बाज़ारों में 5 दर्जन के कैरेट की कीमतें 2800 से 3500 रूपये के बीच चल रही हैं, जो पिछले वर्ष के मुक़ाबले 100% ज़्यादा हैं।
भारतीय आम का निर्यात मुख्य रूप से यूरोपीय संघ, संयुक्त अरब अमारात, वियतनाम और सऊदी अरब को किया जाता है।
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