अच्छे मॉनसून की ख़बर किसानों के लिए उम्मीद की किरण है। ये ख़बर रबी सीज़न में बेरहम मौसम की मार झेल रहे किसानों के ज़ख़्मों पर मरहम की तरह काम कर सकती है। बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि ने रबी सीज़न की फसलों को बुरी तरह से नुकसान पहुंचाया है। उत्तर से लेकर मध्य भारत और पूर्वी भारत के राज्यों तक छोटे से बड़ा किसान आज रो रहा है। हालांकि सरकार प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से किसानों की मदद करने के जतन कर रही है, लेकिन अपना लगभग सब कुछ गंवा चुका किसान किस पर भरोसा करे और किस पर न करे इसे लेकर वो असमंजस में है। इस बीच आई सामान्य मॉनसून की ख़बर किसानों को फिर से हिम्मत दे सकती है और फिर से खरीफ सीज़न की खेती की तैयारियों के लिए उन्हें खड़ा होने की ताकत दे सकती है।
स्काईमेट का मॉनसून पूर्वानुमान
स्काईमेट ने मॉनसून से जुड़े अपने पूर्वानुमान में बताया है कि भारत में इस बार दक्षिण-पश्चिमी मॉनसून सामान्य रहेगा और सामान्य के आसपास लगभग 102% बारिश होगी। हालांकि इसके 4% अधिक या कम रहने की संभावना भी है। स्काईमेट के मुताबिक जून से सितंबर के 4 महीनों की अवधि के दौरान लगभग 887 मिलिमीटर बारिश हो सकती है। दीर्घावधि पूर्वानुमान के अनुसार 27 मई को देश में मॉनसून दस्तक दे सकता है। रबी सीज़न में देश में लगभग 6 करोड़ हेक्टेयर में खेती होती है जबकि खरीफ सीज़न में 10 करोड़ भू-भाग में अनेक फसलें बोई जाती हैं। इससे हम यह भी अंदाज़ा लगा सकते हैं कि 1 मार्च से 15 अप्रैल के दौरान जिस बारिश ने फसलों को नष्ट करके किसानों को नुकसान को जो ज़ख्म दिया है उस पर यही बारिश मरहम भी लगाएगी। चूंकि भारत में कृषि का काम बड़े पैमाने पर मौसम पर निर्भर है, इसलिए बेहतर मौसम की भविष्यवाणी निश्चित रूप से किसानों में जोश भरने का काम कर सकती है। सामान्य मॉनसून रबी फसलों के नुकसान से देश के समग्र खाद्यान्न उत्पादन में कमी की भरपाई भी कर सकता है। साथ ही आम जन की उस महंगाई की आशंका को भी कुछ हद तक दूर कर सकता है जो फसलों के नष्ट होने से लोगों के ज़ेहन में पैदा हुई है।