उत्तर भारत के पर्वतीय राज्यों में होने वाली मौसमी हलचल से पंजाब भी प्रायः प्रभावित होता है। हाल की बारिश ने पंजाब की गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचाया है। आमतौर पर मार्च के अंत तक पश्चिमी विक्षोभ जम्मू कश्मीर सहित तीनों पर्वतीय राज्यों में बारिश देता है तो पंजाब में इस दौरान गरज और तेज़ हवाओं के साथ बारिश तथा ओलावृष्टि की आशंका बनी रहती है। हाल में पश्चिमी विक्षोभ के चलते पंजाब में मौसमी हलचल बढ़ गई थी जिससे राज्य में तेज़ वर्षा तथा ओलावृष्टि जैसी गतिविधियां देखने को मिलीं।
इस बारिश के चलते कई इलाकों में कटाई के लिए लगभग तैयार गेहूं की फसल को व्यापक रूप में नुकसान हुआ है। मॉनसून से पहले हुई इस वर्षा से गेहूं की फसल खेतों में गिर गई है। उत्तरी पंजाब के ज़िले सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। पटियाला में 20-30 प्रतिशत फसल को नुकसान की आशंका है। कुछ जगहों पर गेहूं की कटाई हो चुकी थी, जिसे बारिश के चलते नुकसान हुआ है। यही नहीं किसानों और कृषि विशेषज्ञों के अनुसार बारिश के कारण गेहूं की कटाई में भी देरी होने के आसार हैं।
इससे पहले मार्च के दूसरे पखवाड़े में तापमान तेज़ी से बढ़ा और पंजाब सहित समूचे उत्तर-पश्चिम भारत में सामान्य से ऊपर पहुँच गया था। सामान्य से अधिक तापमान के कारण गेहूं की फसल समय से पहले ही परिपक्व हो गई थी, जिससे अनाज की गुणवत्ता खराब होने और उत्पादन में कमी होने की आशंका बनी थी। रही सही कसर हाल की इस बारिश और ओलावृष्टि ने पूरी कर दी है। कटाई के समय बेमौसम की बारिश ने कई जगहों पर गेहूं को व्यापक रूप में प्रभावित किया है।
इस बीच एक नया पश्चिमी विक्षोभ जम्मू कश्मीर को 13 अप्रैल की शाम से प्रभावित कर सकता है। इस सिस्टम के चलते जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के ऊंचे स्थानों पर हल्की वर्षा की संभावना है। लेकिन राहत की बात यह है कि इस सिस्टम से पंजाब में बारिश जैसी गतिविधियां नहीं होंगी। हालांकि इस दौरान धूलभरी आँधी चलने और आंशिक बादल छाए रहेंगे। तापमान बढ़ेगा लेकिन बारिश नहीं होंगी। किसानों को सुझाव है कि गेहूं की कटाई मड़ाई का काम जल्द निपटाएँ।
Image credit: Punjabi Khurki
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