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[Hindi] हरियाणा और पंजाब में बारिश के आसार, गेहूं के लिए बढ़ीं उम्मीदें

January 27, 2016 4:08 PM |

Green_revolution_Singhभारत में सर्दी ऋतु में असामान्य मौसम के चलते गेहूं के उत्पादन में गिरावट होने की संभावना है। इस बीच उत्तर भारत के कुछ भागों में बारिश होने के आसार हैं, जिसने किसानों की उम्मीदें बढ़ा दी हैं। हालांकि संभावित बारिश की गतिविधियों से अब तक गेहूं सहित अन्य रबी फसलों को जो नुकसान हुआ है उसमें भरपाई की उम्मीद तो नहीं है लेकिन यह निश्चित तौर पर फसलों को लाभ पहुंचाएगी।

स्काइमेट के अनुसार इस समय के मौसमी परिदृश्य से संकेत मिल रहा है कि पंजाब और हरियाणा में अगले 24 घंटों के दौरान हल्की से मध्यम बारिश होगी। बारिश की गतिविधियां अलग अलग तीव्रता से आगामी 48 घंटों तक जारी रह सकती है।

भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक देश है। देश में यह लगातार दूसरा वर्ष है जब गेहूं के उत्पादन में गिरावट हो सकती है। वर्ष 2016 में गेहूं के उत्पादन में कमी का प्रमुख कारण है उत्तर, मध्य और पूर्वी राज्यों में सर्दी ऋतु में अनपेक्षित रूप से गर्म मौसम।

मिट्टी में कम नमी, सर्दी ऋतु में बारिश ना होने और सामान्य से अधिक रहे तापमान के चलते फसलों की उत्पादकता पर बेहद बुरा असर पड़ने की संभावना है। इस वर्ष मौसम में इस उठापटक के चलते सहमे किसानों के लिए बारिश का यह संभावित झोंका बड़ी उम्मीदों भरा है।

उत्तर में जम्मू-कश्मीर के पास बने पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से उत्तरी राजस्थान और इसके आसपास के भागों पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र विकसित हो गया है। इस बीच एक नया पश्चिमी विक्षोभ भी उत्तर भारत के करीब आता दिखाई दे रहा है, जो पश्चिमी हिमालयी भागों को कल से प्रभावित करना शुरू करेगा। इसके प्रभाव से हरियाणा और पंजाब में बारिश की तीव्रता और इसके दायरे में बढ़ोत्तरी हो सकती है।

स्काइमेट का अनुमान है कि शुरुआत में 28 जनवरी को बारिश की गतिविधियां उत्तरी राजस्थान और पश्चिमी हरियाणा में देखने को मिलेंगी। उसके पश्चात 29 जनवरी को बारिश का फैलाव पूर्वी दिशा में बढ़ेगा जिससे हरियाणा के कई भागों और पंजाब के लगभग सभी स्थानों पर वर्षा की गतिविधियां दर्ज की जाएंगी।

इन भागों में 30 जनवरी से मौसम फिर से शांत होने लगेगा और अधिकांश जगहों पर बारिश थम जाएगी जबकि एक-दो स्थानों पर हल्की वर्षा जारी रहेगी। अनुमान है कि बारिश की गतिविधियों के दौरान अधिकतम तापमान में हल्की कमी होगी। लेकिन मौसमी हलचल के आगे निकल जाने के बाद उत्तर भारत के मैदानी भागों में न्यूनतम तापमान में 2-3 डिग्री सेल्सियस की गिरावट दर्ज की जाएगी। पारा गिरने से इन भागों में एक बार फिर से घना कोहरा शुरू होगा।

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार मौसम में आने वाला यह बदलाव गेहूं के लिए निश्चित तौर पर लाभदायक होगा। सरसों की फसल को भी बारिश से फायदा पहुंचेगा। वर्ष 2007 से लगातार बम्पर उत्पादन के बाद 2015 में गेहूं के उत्पादन में गिरावट आई। वर्ष 2016 निरंतर दूसरा वर्ष होगा जब इसके कम उत्पादन के आसार हैं। वर्ष 2015 में कटाई-मड़ाई के समय बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के चलते बड़े पैमाने पर गेहूं की फसल बर्बाद हुई थी। जिसके चलते बीते वर्ष के 91.50 मिलियन टन के मुक़ाबले उत्पादन घटकर 88.94 मिलियन टन दर्ज किया गया था।

Image Credit: eoearth.org

 

 






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