अधिकतर रबी फसलें इस समय वानस्पतिक वृद्धि से दाने भरने की अवस्था में हैं। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि वानस्पतिक वृद्धि की अवस्था में बारिश फसलों के बेहतर विकास और अच्छी पैदावार के लिए रामबाण की तरह काम करती है। जबकि दाने भरने और परिपक्वता की अवस्था में भारी बारिश फसलों को व्यापक नुकसान पहुँचाती है। बीते 2-3 दिनों के दौरान पंजाब से शुरू हुआ बारिश का सिलसिला पंजाब और हरियाणा होते हुए 27 जनवरी तक उत्तर प्रदेश में भी पहुंचा।
बारिश तो हुई लेकिन तेज़ हवाओं और कई जगहों पर पड़े ओले के चलते गेहूँ की फसल को भारी नुकसान की आशंका है। खबरों के मुताबिक भारी बारिश के साथ तेज़ हवाओं और ओलावृष्टि के चलते 20 से 30 प्रतिशत फसल खराब हो गई है। इसका व्यापक असर अनाज की गुणवत्ता में कमी और कम उत्पादकता के रूप में देखने को मिल सकता है।
इससे पहले बीते सत्र में मौसम कृषि के परिप्रेक्ष्य में अच्छा रहा और खरीफ फसलों की अच्छी पैदावार हुई थी जिससे ना सिर्फ किसानों ने राहत की सांस ली थी बल्कि सरकार और आम जनता के लिए भी इससे महँगाई में कमी से राहत मिली थी। साथ ही इस बार रबी फसलों की अच्छी पैदावार कि भी उम्मीद लगाई जा रही थी। लेकिन बेमौसम बारिश ने इन उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
प्रमुख गेहूँ उत्पादक राज्यों पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में रबी फसल की अगड़ी क़िस्मों की कटाई-मड़ाई में लगभग एक महीने का समय बाकी है ऐसे में फसलों के लिए यह बारिश काफी नुकसान वाली साबित होगी। गेहूँ के अलावा सरसों, मटर और शिमलामिर्च को इससे नुकसान की आशंका है। हालांकि भारी बारिश के चलते उत्तर प्रदेश में आम में आई अमराई के भी टूटकर गिरने की खबरें हैं।
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