इस वर्ष रबी सत्र में चावल के उत्पादन में 3.5% की बढ़ोत्तरी होनी के आसार हैं। पिछले रबी सत्र में जहां 11.93 मिलियन टन चावल का उत्पादन हुआ था वहीं इस सत्र में 12.35 मिलियन टन चावल उत्पादन की संभावना है। एडेलवाइस इंटीग्रेटेड कोमोडिटी मैनेजमेंट ने यह आंकड़े उपलब्ध कराये हैं।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि खरीफ और रबी दोनों सत्रों को मिलाकर चालू वित्त वर्ष में चावल के कुल उत्पादन में 2.7% की कमी रहेगी। खरीफ सत्र में गैर बासमती चावल की पैदावार में आई गिरावट के चलते यह कमी आने की संभावना है। हालांकि एजेंसी का यह भी कहना है कि देश में पहले से मौजूद चावल के भंडार के चलते उत्पादन में कमी के बावजूद कीमतों में बढ़ोत्तरी नहीं हो रही है। दूसरी ओर चावल मिलों और थोक विक्रेताओं की तरफ से मांग में कमी की वजह से भी चावल की कीमतें स्थिर बनी हुई हैं।
लेकिन दूसरी तरफ रिपोर्ट यह भी कहती है कि चावल की कीमतों में जल्द ही बढ़ोत्तरी हो सकती है क्योंकि सरकारी भंडार में चावल धीरे-धीरे कम हो रहा है। केंद्रीय पूल में 1 सितंबर 2015 को 16.31 मिलियन टन चावल था जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में 21.65 मिलियन टन चावल सरकार के भंडार में था।
कमजोर मॉनसून के चलते जून से सितंबर के दौरान औसत से कम बारिश हुई जिससे खरीफ सत्र में धान की बुआई प्रभावित हुई थी और इसकी पैदावार पर भी असर पड़ा था। एडेलवाइस के मुताबिक कम मॉनसूनी बारिश रबी सत्र की बुआई को भी प्रभावित कर रही है। रबी सत्र में धान की खेती सबसे अधिक पश्चिम बंगाल में की जाती है। इस रबी सत्र में राज्य में 12.36 लाख हेक्टेयर धान की खेती होने की संभावना है जबकि पिछले सत्र में 12.75 लाख हेक्टेयर में धान की खेती की गई थी। हालांकि इस रबी सीजन में आंध्र प्रदेश में धान की बुआई 6.1% अधिक और ओड़ीशा में 1.7% अधिक हो सकती है।
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