पंजाब में किसानों को कई मोर्चों पर संघर्ष करना पड़ रहा है। राज्य के किसानों को मक्का और सूरजमुखी की अधिक कीमतें अदा करनी पड़ रही हैं। यह समस्या जल्द खत्म नहीं होने वाली बल्कि परेशानी और बढ़ सकती है क्योंकि आने वाले दिनों में दोनों फसलों की बीजों की कीमतों में और बढ़ोत्तरी होने के आसार हैं।
कीमतों में इस उछाल का मुख्य कारण किसी सरकारी निगरानी संस्था का ना होना माना जा रहा है। ऐसे में किसान बाज़ार पर निर्भर हैं। गौरतलब है कि राज्य में कृषि विभाग खरीफ सीजन के लिए मक्के के बीजों की आपूर्ति करता है लेकिन किसानों को निजी दुकानों से बीज खरीदना पड़ता है। खबरों के मुताबिक बीज व्यापारी कीमतें बढ़ाने के लिए बीज की कमी की अफवाह फैला रहे हैं। इस संबंध में कृषि विभाग के साथ-साथ ज़िला प्रशासनों तक शिकायत पहुँच चुकी है। बसंत ऋतु में मक्के और सूर्यमुखी फसलों की बुआई फरवरी और मार्च में होती। जून में फसल तैयार होती है।
इस समय आमतौर पर मक्के की कीमतें 300 से 350 रुपये प्रति किलोग्राम की दर बेची जाती हैं जबकि बीज व्यापारी लगभग दोगुनी कीमत पर कम से कम 550 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से मक्के का बीज बेच रहे हैं। इस बारे में किसानों ने ज़िला प्रशासन से शिकायत दर्ज कराई है। बीज बिक्री के लिए बिल भी नहीं दिया जा रहा है।
जहां तक सूर्यमुखी के बीज का सवाल है, यह 2600 से 3000 रूपए प्रति 4 किलोग्राम की दर से बेचा जा रहा है। जबकि इससे पहले इसकी कीमत लगभग 1600 रुपए के आसपास होती थी। बसंत ऋतु में पंजाब के प्रमुख सूर्यमुखी उत्पादक जिलों लुधियाना, होशियारपुर और जालंधर में लगभग 30 हज़ार हेक्टयर में सूर्यमुखी बोया जाता है। एक ओर जहां बीजों की कमी का हवाला देकर व्यापारी इसे ऊंची कीमतों में बेच रहे हैं वहीं दूसरी ओर पंजाब के मुख्य कृषि अधिकारी का कहना है कि राज्य में बीज की कमी नहीं है और इस बारे में उच्चाधिकारियों को सूचित कर दिया गया है।
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