भारत एक कृषि प्रधान देश है। आबादी के हिसाब से दुनिया के दूसरे सबसे बड़े देश भारत की लगभग 50 प्रतिशत आबादी खेती के काम में लगी है। कृषि उत्पादन के लिहाज से भी अगर देखें तो भी भारत का स्थान दुनिया में दूसरे नंबर पर है। जिसमें खाद्यान्न उत्पादन के साथ-साथ मछली पालन, पशु पालन, बागवानी और वन संसाधन जैसे कई क्षेत्र शामिल हैं।
भारत के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि की हिस्सेदारी 13 प्रतिशत के आसपास है। लेकिन जिस दर से भारत की अर्थव्यवस्था बढ़ रही है, कृषि का विकास उस अनुपात में नहीं हो पा रहा है। बल्कि यह कह सकते हैं कि कृषि क्षेत्र के विकास में गिरावट आ रही है।
भारत में कृषि व्यापक रूप से मौसम पर निर्भर करती है। मॉनसून का अच्छा होना बड़े पैमाने पर कृषि के बेहतर उत्पादन के लिए एक स्वाभाविक अपेक्षा है। खरीफ फसलों की गुणवत्ता और फसलों की उत्पादकता मॉनसून सीजन में मॉनसूनी बारिश पर काफी ज़्यादा निर्भर है। खरीफ के अलावा रबी फसलों के लिए भी मौसम कभी अनुकूल तो कभी प्रतिकूल प्रभाव डालता रहता है।
कृषि उत्पादन में प्रमुखता से योगदान करने वाले देश के कई राज्यों में सिंचाई का बेहतर प्रबंधन कृषि के कार्य में अनिश्चितता को कम कर सकता है। वर्षा या मौसम पर नियंत्रण संभव नहीं है परंतु मौसम के सटीक पूर्वानुमान को ध्यान में रखते हुये कृषि का प्रबंधन कृषि उत्पादों की गुणवत्ता को बढ़ा सकता है। इससे उत्पादकता भी बढ़ेगी और पूंजी तथा श्रम की लागत में कमी आएगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 जुलाई को पटना में कृषि को बढ़ावा देने के लिए 'विज़न 2050' जारी करेंगे। नई राजग सरकार जिस तरह से देश का चहुमुखी विकास का वादा करती आ रही है उम्मीद है कि इस विज़न से कृषि का विकास होग। कृषि क्षेत्र के विकास और किसानों के बेहतर जीवन के लिए इस विज़न में नीतिगत और व्यवहारिक उपाय किए जाएंगे ताकि भारत सभी प्रकार के खाद्यान्नों के लिए आत्मनिर्भर बने और दुनिया को बेहतर गुणवत्ता वाले कृषि उत्पादों का निर्यात भी कर सके। ‘विज़न 2050’ भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा तैयार किया गया है।
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