दक्षिण-पश्चिम मॉनसून तय समय से 2 दिन पहले ही केरल पहुँच गया है। इससे पहले अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह में भी मॉनसून का आगमन सामान्य समय से एक सप्ताह पहले 14 मई को हो गया था। मॉनसून के आगमन के पहले से ही देश भर में किसान, सरकार और कृषि की चिंता करने वाले सतर्क हो जाते हैं। मॉनसून के प्रदर्शन पर भारत में ना सिर्फ खरीफ की पैदावार और उत्पादन निर्भर करता है बल्कि मॉनसून अगले रबी सत्र को भी प्रभावित करता है।
केरल, तमिलनाडु के दक्षिणी किनारों और पूर्वोत्तर भारत के दक्षिण-पूर्वी भागों में पहुँचने के बाद उम्मीद है कि मॉनसून आने वाले समय में भी सामान्य गति से आगे बढ़ेगा। दक्षिण पश्चिम मॉनसून 5 से 10 जून के बीच पश्चिमी तटों पर गोवा सहित कर्नाटक के कुछ हिस्सों, महाराष्ट्र के कुछ भागों और पूर्वोत्तर राज्यों के शेष हिस्सों में भी दस्तक दे सकता है। अनुमानों के अनुसार दक्षिण पश्चिम मॉनसून 10 जून से पहले कोलकाता और मुंबई में पहुँच जाएगा।
स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार मॉनसून जून में सामान्य रफ्तार से आगे बढ़ेगा। जून के पहले पखवाड़े में दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत के राज्यों विशेष रूप से केरल और कर्नाटक में अच्छी वर्षा की संभावना है। दक्षिण भारत के बाकी राज्यों आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और तेलंगाना में भी जून के पहले 15 दिनों में अच्छी मॉनसूनी बारिश हो सकती है।
इस दौरान मॉनसून पूर्वी तटों और पूर्वोत्तर भारत में भी प्रगति करेगा। बिहार और झारखंड के पूर्वी भागों, ओड़ीशा, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में भी जून के पहले 15 दिनों के दौरान अच्छी बारिश बारिश होने के आसार हैं। अच्छी मॉनसून वर्षा के चलते इन भागों में मिट्टी में नमी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो जाएगी जिससे खरीफ सीज़न की बुआई की शुरुआत अच्छी होने की संभावना है। मॉनसून का आगे का रुख कैसा रहेगा इस बारे में हम अपनी वेब साइट पर अपडेट करते रहेंगे।
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