कृषि शोध के माध्यम से नई तकनीकियों और नए बीजों को किसानों के सामने लाने के लिए आज से नई दिल्ली में कृषि उन्नति मेला शुरू हो रहा है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान 1972 से ऐसे विज्ञान मेलों का मेले का आयोजन करता आ रहा है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान परिसर में कृषि उन्नति मेले का आयोजन कृषि व किसान कल्याण मंत्रालय तथा भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है।
यह एक ऐसा आयोजन है जहां ना सिर्फ कृषि अनुसंधान संस्थान किसानों को खेती की नई-नई विधियों के बारे में जानकारी देता है बल्कि कृषि उन्नयन के लिए किसानों से भी उनकी राय ली जाती है जो आगे की नीतियाँ तैयार करन के लिए अहम होती हैं। देश के विभिन्न भागों से किसान इस मेले में हिस्सा ले रहे हैं। जहां उनकी प्रतिक्रियाओं पर आधारित खेती के तरीकों को और बेहतर करने के उपाय ढूढ़ें जाएंगे।
कृषि को कैसे व्यावसायिक रूप में इस्तेमाल किया जाए, जैविक खेती को कैसे बढ़ावा दिया जाए, फसलों और बागवानी की एकीकृत खेती कैसे की जाए जैसे अनेक महत्वपूर्ण विषय इस मेले के केंद्र में होंगे। इसके अलावा देश की जलवायु में बदलाव आ रहा है जिससे परंपरागत कृषि प्रणाली प्रभावित हो रही है। मौसम के चक्र में आ रहे इस बदलाव से किसानों के नुकसान को कम करने में भी ऐसे कृषि मेलों की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।
फसलों की क़िस्मों, फसलों की अवधि, फसलों को पानी, उर्वरक और कीटनाशक इत्यादि की आवश्यकता आदि ऐसे विषय हैं जिन पर कृषि वैज्ञानिक लगातार काम कर रहे हैं। लेकिन इस पर और अधिक ध्यान केन्द्रित करने की ज़रूरत है। कृषि उन्नति मेलों के माध्यम से किसानों की प्रतिक्रिया पर आधारित योजनाएँ तैयार करना आसान होगा। देश के कई किसान भी अनुभव और उपलब्ध संसाधनों के आधार पर नई तकनीकि विकसित कर रहे हैं। ऐसे किसानों के विचारों से देश के अन्य किसानों को अवगत करने के लिए भी ऐसे मंच महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान परिसर में 15 मार्च से शुरू हुआ यह मेला 17 मार्च तक चलेगा।
Image credit: PMO
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