यूरोपीय संघ और चीन के बाद समूचे विश्व में भारत गेहूं का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। इस सच्चाई के बीच भी भारत को गेहूं का बड़े पैमाने पर आयात करना पड़ा। वर्ष 2016 के मध्य तक भारत ने 50 लाख टन से अधिक गेहूं का आयात किया। इसे एक दशक में भारत में सबसे बड़ी खरीद कहा जा रहा है। दो वर्षों के खराब मौसम के बीच कम उत्पादन के चलते सरकार ने गेहूं की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए गेहूं के व्यापक आयात के लिए अभियान चलाया था।
व्यापारियों के अनुसार अब भारत इस रबी सीज़न की कटाई के बाद बेहतर उत्पादन की संभावना को देखते हुए आयात कम करने की योजना बना रहा है। अनुमान है कि उत्पादन के बाद पर्याप्त घरेलू आपूर्ति होगी जिसके चलते आयात 2-3 लाख टन से अधिक नहीं किया जाएगा। समाचार एजेंसी रायटर के अनुसार 1 जुलाई तक भारत में आयात के लिए 5.1 मिलियन टन गेहूं पहले ही तैयार था।
हालांकि व्यापारियों के अनुसार यह आंकड़ा 5.2 मिलियन टन के आसपास हो सकता है। इस बीच 1 मिलियन टन से अधिक गेहूं जनवरी और फरवरी में भारत आ चुका है। बीते दो वर्षों के दौरान खराब मॉनसून के बाद गेहूं के कम उत्पादन की संभावनाओं को देखते हुए भारत ने माँग और आपूर्ति में संतुलन बनाए रखने के लिए गत वर्ष मध्य में गेहूं का आयात शुरू किया।
यूक्रेन और ऑस्ट्रेलिया, भारत को गेहूं निर्यात करने वाले प्रमुख में शुमार हैं। इसके लिए भारतीय आटा मिलों ने लगभग 210 से 212 $ प्रति टन का भुगतान किया है। इस बीच अच्छी खबर यह है कि भारत में गेहूं के अच्छे पैदावार के लिए स्थितियाँ अनुकूल हैं क्योंकि बीते वर्षों के मुक़ाबले वर्तमान रबी सत्र में अधिक गेहूं बोया गया है। शुक्रवार को जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष भारत में गेहूं की खेती 7% अधिक हुई है।
Image credit: LiveMint
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