अफ्रीकी विकास बैंक समूह की गुजरात में आयोजित सालाना बैठक के अवसर पर वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि भारत और अफ्रीकी देशों की समस्याएं मिलती-जुलती हैं। इनमें गरीबी सबसे अहम है। उन्होंने कहा कि अगर भारत और अफ्रीका अपने संसाधनों का मिलकर इस्तेमाल करें तो कृषि क्षेत्र गरीबी सहित अनेक समस्याओं को दूर करने में उत्प्रेरक का काम कर सकता है।
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि अफ्रीका की 65 फीसद भूमि पर खेती नहीं की जाती जबकि भारत में विश्व की 17 फीसद आबादी है और केवल दो फीसद भूमि है। ऐसे में भारत अफ्रीका में कांट्रेक्ट खेती के जरिए दलहन उत्पादन की संभावनाएं तलाश रहा है। इसके साथ ही खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में भी अच्छी संभावनाएं दिखाई दे रही हैं।
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गौरतलब है कि सरकार के प्रयासों के बाद भी देश में दलहन का उत्पादन बहुत अधिक नहीं हो सका है और यह 1.75 करोड़ टन के स्तर पर पहुंचा है जबकि सालाना खपत करीब 2.25 करोड़ टन की है। भारत को अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए हर वर्ष करीब 50 लाख टन दालों का आयात करना पड़ता है। अफ्रीकी देशों में दलहन की कांट्रेक्ट खेती कराने से घरेलू बाजार में दलहन की ज़रूरत को पूरा करने में मदद मिल सकेगी। उत्पादन पर लागत कम आने से लोगों को सस्ती दाल भी मिल सकेगी।
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बैठक को संबोधित करते हुए अपने भाषण में अफ्रीकी देशों के साथ चलने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में उनके पद संभालने के बाद भारत सरकार ने अफ्रीका को शीर्ष प्राथमिकता दी है। श्री मोदी ने कहा कि अफ्रीकी देशों के साथ हमारे द्वीपक्षीय संबंधों में काफी मजबूती आई है।
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