[Hindi] कृषि ऋण माफी व कृषि पर कर सही कदम नहीं- स्वामीनाथन

May 1, 2017 11:55 AM | Skymet Weather Team

प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक और हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन कृषि उत्पादों पर कर लगाए जाने के मत का विरोध करते हैं। स्वामीनाथन का मानना है कि कृषि पर देश की 50 प्रतिशत से अधिक आबादी आश्रित है। आधी से अधिक जनसंख्या का खेती पर निर्भर होना यह बताता है कि यह जीविका से जुड़ा क्षेत्र है इसलिए कृषि उत्पादों पर कर लगाने से बड़े पैमाने पर लोग सीधे तौर पर प्रभावित होंगे। हालांकि उन्होंने यह कहा है कि कई श्रोतों से आय वाले समृद्ध किसानों पर कर लगाए जाने के तरीके तलाशे जा सकते हैं।

गौरतलब है कि हाल ही में नीति आयोग के सदस्य बीबेक देबरॉय ने कहा था कि कर का आधार बड़ा करने के लिए कृषि उत्पादों को भी कर के दायरे में लाया जाना चाहिए। बीबेक देबरॉय के बयान के बाद मीडिया में ज़ोर-शोर से इस मसले पर चर्चा शुरू हो गई थी। ना सिर्फ क्षेत्र के विशेषज्ञ बल्कि आम जनमानस भी इस बारे में चिंतित हो गया था कि कहीं यह सरकार की मनसा के संकेत तो नहीं।

हालांकि कुछ ही समय बाद मोदी सरकार ने कृषि उत्पादों को कर के दायरे में लाने के किसी विचार का तत्काल खंडन किया था और नीति आयोग ने भी स्पष्टीकरण जारी करते हुए बताया था कि कृषि उत्पादों पर कर लगाने का बीबेक देबरॉय का विचार उनका अपना निजी विचार है इससे नीति आयोग इत्तिफाक़ नहीं रखता। केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने ऐसे विचार का खंडन करते हुए कहा कि यह केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर की बात है।

हरित क्रांति के जनक स्वामीनाथन ने कहा कि कृषि के लिए दिया जाने वाला लोन माफ करना कृषि के हित में नहीं है। उन्होंने कहा कि कृषि कर्ज़ की समस्या का दीर्घकालिक हल तलाशने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि किसानों का घाटा एक लंबी बीमारी की तरह है और इसका इलाज कृषि ऋण माफ करने से संभव नहीं है। स्वामीनाथन ने कहा कि कृषि की अधिक लागत और कृषि उत्पादों के रिटर्न को तार्किक बनाए जाने की ज़रूरत है।

भारतीय कृषि को एक नए मुकाम पर पहुंचाने वाले कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन ने कहा कि छोटे और सीमांत किसानों को बुआई के लिए बीज, उर्वरक और अन्य लागत कम कीमत पर उपलब्ध कराकर इस समस्या के हल की तरफ बढ़ा जा सकता है।

Image credit: Futurefood 2050

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