देश में इस वर्ष गेहूं के बम्पर उत्पादन को देखते हुए सरकार ने गेहूं के आयात से हटाये गए शुल्क को फिर से लगाने की तैयारी में है। हालांकि अधिक खेती और फसलों की बेहतर स्थिति के बावजूद वर्तमान में देश के कई हिस्सों में बिगड़ा मौसम का मिजाज़ बम्पर पैदावार की राह में रोड़ा बन सकता है।
गौरतलब है कि दिसम्बर 2016 में गेहूं की बढ़ती कीमतों को देखते हुए सरकार ने गेहूं से आयात शुल्क हटा लिया था ताकि इसकी मांग और आपूर्ति में संतुलन बना रहे। लेकिन इस वर्ष गेहूं की बम्पर पैदावार के अनुमानों के बीच सरकार फिर से आयत शुल्क लगाने पर विचार कर रही है।
इस बीच मध्य प्रदेश और गुजरात में अगड़ी किस्म के गेहूं की आवक मंडियों में शुरू हो गई है, लेकिन बम्पर पैदावार की संभावना के चलते इसकी कीमतों पर दबाव है। इन दोनों राज्यों में तय समय से लगभग एक पखवाड़े पहले ही केंद्र सरकार ने गेहूं की खरीद शुरू कर दी हैं लेकिन किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य 1625 रुपए प्रति क्विंटल से नीचे 1500 रुपए के आसपास अपना अनाज बेचने को मजबूर हो रहे हैं।
सोमवार को बिहार के उत्तरी तराई वाले जिलों में हुई भारी बारिश और ओलावृष्टि ने गेहूं सहित खेतों में खड़ी तमाम रबी फसलों को व्यापक नुकसान पहुंचाया है। मोतीहारी, मधुबनी और मधेपुरा जिलों में कई जगहों पर ओलावृष्टि के चलते गेहूं को भारी नुकसान हुआ है। इन जिलों में स्थानीय लोगों के अनुसार कहीं-कहीं ओलों का वज़न 500 ग्राम तक था। इस ओलावृष्टि के रूप में गिरी आकाशीय आफत के चलते 200 एकड़ में लगी तंबाकू की फसल भी नष्ट हो गई है।
इससे पहले मार्च की शुरुआत से ही देश के कई इलाकों में बारिश और ओलावृष्टि की गतिविधियां देखने को मिली हैं जिससे फसलों को भारी नुकसान हुआ है। मध्य प्रदेश के गुना में रविवार को हुई भारी बारिश ने गेहूं की फसल को प्रभावित किया है। उत्तरी मध्य प्रदेश और राजस्थान के कई इलाकों में पिछले हफ्ते बारिश ने कृषि क्षेत्र को व्यापक रूप में प्रभावित किया। जयपुर में भी बारिश होने और ओले पड़ने से गेहूं सहित अन्य रबी फसलें खराब हुई हैं।
हरियाणा के कई इलाकों में 8 से 10 मार्च के बीच तेज वर्षा और ओलावृष्टि दर्ज की गई थी जिसके चलते फसलें चौपट हो गई हैं। मौसम का प्रकोप फ़तेहाबाद, भिवानी और पानीपत में सबसे अधिक रहा जहां गेहूं और सरसों की फसल को व्यापक नुकसान हुआ। भिवानी के अनेक इलाकों में हुई तेज बारिश और आंधी से गेंहू की फसल पूरी तरह से खेतों में बिछ गई है। गेहूं के साथ-साथ सरसों की फसल को भी काफी नुकसान पहुचा है।
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